विलुप्ति की कगार पर पहुंची इस शानदार कछुए की प्रजाति

 

आस्ट्रेलियाई हरे कछुएकैनबरा। आस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ में मौजूद हरे रंग के समुद्री कछुए समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण विलुप्त हो सकते हैं। गुरुवार को एक शोध में यह दावा किया गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) और पर्यावरण एवं विरासत संरक्षण विभाग के आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि लगभग दो दशकों से हरे रंग के नर कछुओं की संख्या तेजी से घट रही है। आस्ट्रेलियाई हरे कछुए…

ग्रेट बैरियर रीफ के ठंडे दक्षिणी क्षेत्रों में हरे रंग के मादा कछुओं की संख्या 65 से 69 प्रतिशत के बीच है, जबकि रीफ के गर्म उत्तरी सिरे में हरे रंग के मादा कछुओं की आबादी 87 से 99.8 प्रतिशत के बीच है।

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एनओएए में जैविक समुद्री शोधकर्ता कैमरन एलन ने कहा, “समुद्री कछुए का लिंग उस तापमान पर निर्भर करता है, जिस पर अंडे का विकास होता है और यह देखते हुए कि गर्म तापमान में अधिक मादाएं पैदा होती हैं। हम चिंतित हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण ही यह प्रभाव पड़ रहा है।”

एलन ने कहा, “समुद्री कछुओं के जन्म के लिए उपयुक्त तापमान 29 डिग्री सेल्सियस हैं। इस तापमान पर 50 प्रतिशत नर और 50 प्रतिशत मादा का जन्म होता है।”

एलन ने आगे कहा, “लगभग एक से दो डिग्री सेल्सियस का अंतर भी सभी मादाओं के लिए खतरा हो सकती है और शायद इससे उनकी भ्रूणिक मृत्यु भी हो सकती है।”

एलेन के अनुसार, ग्रेट बैरियर रीफ का तापमान औसत तापमान से अधिक है।

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