खगोलविदों ने बृहस्पति की तरह खोजा एक और ग्रह, आइंस्टीन के इस सिद्धांत से मिली सफलता

दिलीप कुमार

पिछले एक दशक से दुनीया भर के वैज्ञानिक इस तलाश में जुटें हैं कि धरती के आलावा किसी अन्य ग्रह पर जीवन जीने के अनुकूल हो सके। इस प्रयास के वजह से वैज्ञानिकों को आए दिन स्पेस में कुछ नया मिल जाता है।

इसी कड़ी में खगोलविदों ने अपने ताजा अध्ययनों से यह पता लगाया है कि सोलर सिस्टेम के सबसे बड़े ग्रह यानी बृहस्पति आकाशगंगा में अकेला नहीं है। इसी के तरह एक और ग्रह है जो अपने तारे से उतनी ही दूरी पर स्थित है जितना कि बृहस्पति हमारे सूर्य से है।

आपको बता दें कि चमकीले ग्रह के रूप में अपनी सबसे अलग पहचान रखने वाले जुपिटर पर तूफानों का प्रभुत्व है। वैज्ञानिक रिपोर्ट्स के अनुसार जुपिटर पर तेज हवाओं का सिलसिला जारी है।

जुपिटर के तरह पहचाने गए ग्रह यानी नए तारे का नाम K2-2016-BLG-0005Lb रखा गया है। इस एक्सोप्लैनेट का पता खगोल भौतिकीविदों की एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप द्वारा 2016 में प्राप्त डेटा का उपयोग करके लगाया है। नासा की केप्लर टेलीस्कोप के जरिए पता लगाया है।

गौरतलब है कि अब तक मिल्की वे आकाशगंगा में लगभग 2700 ग्रहों का पता लगाया जा चुका है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि बृहस्पति जैसा एपीटोम दिखने वाला यह पहला सबसे दूरस्थ एक्सोप्लैनेट है।

जुपिटर का यह नया समरूप पृथ्वी से 17,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। खगोलविदों ने इसे अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत और गुरुत्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग के रूप में की जाने वाली एक विधि का उपयोग करके जुपिटर जैसी दिखने वाली इस अनूठी दुनिया की खोज की है।

यह अनूठा तारा मूल रूप से बृहस्पति के समरूप है। इसका द्रव्यमान सूर्य के मास से 60 फीसद अधिक है। टीम नें ब्रह्माण्ड में इसकी स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि यह पहली बार है, जब केप्लर टेलीस्कोप ने आइंस्टीन माइक्रोलेंसिंग का उपयोग करके एक नए ग्रह की खोज की है।

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