बस चाहिए सरकार का साथ… सेना प्रमुख का ये प्लान करेगा धमाका, जड़ से खत्म होगा आतंकवाद

आतंकवाद की फैलती जड़ेंनई दिल्ली। दिन-ब-दिन आतंकवाद की फैलती जड़ें देश के लिए चिंता का सबब बनती जा रही हैं। इससे निजात पाने की लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सफलता हाथ लगती नहीं नज़र आती है। कारण देश को सबसे ज्यादा खतरा आतंक को पनाह देने वाला पड़ोसी देश पाकिस्तान है।

इसका नाम हमेशा से इस मामले को लेकर सामने आता रहा है। फिर भी कोई भी ठोस कार्रवाई कर पाने में असमर्थता ही दिखाई दी। अब इसका तोड़ निकालते हुए सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने एक सुझाव पेश किया है। इस सुझाव में उन्होंने राजनीतिक पहल के साथ-साथ सैन्य ऑपरेशन की बात कही।

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खबरों के मुताबिक़ उन्होंने प्रांत में शांति कायम करने की बात करते हुए कहा कि इसके लिए राजनीतिक पहल के साथ-साथ सैन्य ऑपरेशन भी जारी रहना चाहिए।

सीमा पार से आतंकवाद रोकने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए जनरल रावत ने सेना की आक्रामक कार्रवाई पर भी जोर दिया।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी सेना प्रमुख ने चीन और पाकिस्तान से घुसपैठ की कोशिशों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

सेना प्रमुख की चेतावनी के बाद पाकिस्तान ने गीदड़भभकी देनी शुरू कर दी।

इस बीच, रविवार को एक विशेष साक्षात्कार में सेना प्रमुख ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में मौजूद सशस्त्र बल वर्तमान स्थिति में ही बने नहीं रह सकते हैं, उन्हें हालात का सामना करने के लिए नई रणनीति और युद्ध-नीति विकसित करने की जरूरत है।

सेना प्रमुख ने कहा कि एक साल पहले जब उन्होंने पद संभाला था, उसकी तुलना में आज हालात बेहतर हुए हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान पर भारी दबाव बनाने की जरूरत है, जिससे सीमा पार से जारी आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने साफ संकेत दिया कि सेना आतंकवाद से सख्ती से निपटने की अपनी नीति पर चलती रहेगी।

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जनरल रावत ने कहा, ‘राजनीतिक पहल और दूसरे सभी उपाय साथ-साथ चलने चाहिए और जब हम सभी मिलकर काम करेंगे तभी कश्मीर में शांति की स्थापना की जा सकती है। हमें राजनीतिक-सैन्य अप्रोच अपनाने की जरूरत है।’

गौरतलब है कि अक्टूबर में सरकार ने IB के पूर्व प्रमुख रह चुके दिनेश्वर शर्मा को जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत करने के लिए अपना वार्ताकार नियुक्त किया था।

इस पर आर्मी चीफ ने कहा, ‘जब सरकार ने अपनी ओर से वार्ताकार नियुक्त किया था, इसका एक मकसद था। वह सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कश्मीर के लोगों तक अपनी बात पहुंचाएंगे और यह देखेंगे कि उनकी शिकायतें क्या हैं, जिन्हें राजनीतिक स्तर से सुलझाया जा सकता है।’

यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीर में आतंकियों को भेजने से रोकने के लिए पाकिस्तान पर और दबाव बनाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘हां, आप एक ही स्थिति में बने नहीं रह सकते हैं। आपको लगातार सोचना होगा और आगे बढ़ते जाना होगा। आपको अपने सिद्धांतों और उन तरीकों को जिससे आप इन इलाकों में काम करते आए हैं, बदलते रहना होगा।’

हाल में आर्मी चीफ ने कहा था कि पाकिस्तान में आतंकवादी केवल इस्तेमाल करके फेंकने की चीज हैं। भारतीय सेना का नजरिया यह सुनिश्चित करना रहा है कि उसे दर्द का अहसास हो।

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गौरतलब है कि पिछले साल की शुरुआत से ही सेना ने जम्मू-कश्मीर में आक्रामक ऐंटी-टेरर पॉलिसी पर काम करना शुरू किया है।

इसके साथ ही पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से LoC पर की जा रही गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है।

जनरल रावत ने अपनी बातों में साफ़ किया कि कश्मीर शांति के लिए सेना की भूमिका केवल एक हिस्सा मात्र है।

उन्होंने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य आतंकियों और कट्टरपंथी की आंधी में बहने वाले नौजवानों को बचाकर शांति के रास्ते पर लाना है।

दरअसल कुछ आतंकी संगठन खुद को और मजबूत करने व खौफ में इजाफा करने के लिए नवयुवाओं को निशाना बनाते हैं। धर्म के नाम पर उनका माइंडवाश कर आतंकी अपना काम निकालने की जुगत में लगे रहते हैं।

ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए सेना एक्टिव आतंकी संगठनों पर दवाव बनाने का प्रयास करती है। ताकि उनके नापाक मंसूबों को अंजाम तक पहुंचने से रोका जा सके।

देखें वीडियो :-

https://youtu.be/4IhqR8Yftlg

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