जिंदगी और मौत से जूझ रहे एयरमार्शल अर्जन सिंह से मिलने हॉस्पिटल पहुंचे पीएम मोदी
नई दिल्ली। एयरफोर्स में सबसे ऊंचे पद को हासिल करने वाले एकलौते जवान अर्जन सिंह की मौजूदा स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। उनकी तबियत से जुड़ी ताजा जानकारी वायु सेना द्वारा किए गए ट्वीट से मिली। बता दें दिल्ली के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में अर्जन सिंह का इलाज चल रहा है। उनकी बिगड़ी हालत की जानकारी मिलते ही पीएम मोदी ने भी हॉस्पिटल पहुंच उनका हालचाल लिया। इससे पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अस्पताल जाकर उनसे मुलाक़ात की थी।
वायु सेना ने ट्वीट में बताया कि शनिवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अस्पताल जाकर उनका हाल-चाल लिया।
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98 वर्षीय अर्जन सिंह को जब वायु सेना प्रमुख बनाया गया था तो उनकी उम्र उस वक्त महज 44 साल थी और आजादी के बाद पहली बार लड़ाई में उतरी भारतीय वायुसेना की कमान उनके ही हाथ में थी।
ख़ास यह है कि अर्जन सिंह सेना के 5 स्टार रैंक अफसर हैं। देश में पांच स्टार वाले तीन सैन्य अधिकारी रहे हैं, जिनमें से फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और फील्ड मार्शल के एम करियप्पा का नाम है, ये दोनों जीवित नहीं हैं। ये तीनों ही ऐसे सेनानी हैं, जो कभी सेना से रिटायर नहीं हुए।
यही नहीं, अर्जन सिंह ने आजादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 को वायु सेना के 100 से भी अधिक विमानों के लाल किले के ऊपर से फ्लाइ-पास्ट का भी नेतृत्व किया था।
पाकिस्तान के खिलाफ जंग में उनकी भूमिका के बाद वायु सेना प्रमुख के रैंक को बढ़ाकर पहली बार एयर चीफ मार्शल किया गया, उन्हें नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया है।
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चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद 1963 में उन्हें वायु सेना उप-प्रमुख बनाया गया था। एक अगस्त 1964 को जब वायु सेना अपने आप को नई चुनौतियों के लिए तैयार कर रही थी, उस समय एयर मार्शल के रूप में अर्जन सिंह को इसकी कमान सौंपी गई थी।
मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को लायलपुर जो अब पाकिस्तान के फैसलाबाद में पड़ता है और उन्होंने अपनी शिक्षा पाकिस्तान के मोंटगोमरी से पूरी की। अर्जन सिंह 19 वर्ष की उम्र में पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चुने गए थे।
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