
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन अधिनियम पर दिए गए कथित भड़काऊ भाषण के मामले में डॉ. कफील खान को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने डॉ कफील खान के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है।

न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने डॉक्टर खान की इस दलील से सहमति जताई कि अलीगढ़ मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोप पत्र दाखिल करने से पहले पुलिस ने उत्तर प्रदेश सरकार की अनिवार्य पूर्व अनुमति नहीं ली थी। न्यायाधीश ने अब मामले को वापस स्थानीय अदालत में भेजकर सही प्रक्रिया का पालन करने को कहा है। कोर्ट के आदेश पर कफील खान ने कहा, “यह भारत के लोगों के लिए एक बड़ी जीत है और न्यायपालिका में हमारे विश्वास को बहाल करता है। माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ योगी आदित्यनाथ सरकार की मनमानी पूरी तरह से उजागर हो गई है।”
खान पर कथित तौर पर एएमयू के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने और 13 दिसंबर, 2019 को अपने भाषण के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया था। उन पर धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था।