महाभियोग का सामना करने वाले चौथे जज होंगे न्यायमूर्ति शुक्ला

इलाहाबादनई दिल्ली। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नारायण शुक्ला पिछले 25 साल में महाभियोग का सामना करने वाले चौथे न्यायाधीश होंगे। अब तक महाभियोग की कार्यवाही में किसी भी न्यायाधीश को खुद को अभियोग से बरी साबित करने में कामयाबी नहीं मिली है। माना जा रहा है कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने न्यायमूर्ति शुक्ला पर महाभियोग चलाने के संबंध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी सिफारिश भेजी है।

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इससे पहले 1993 में शीर्ष अदालत के न्यायाधीश वी. रामास्वामी और 2011 में सिक्किम उच्च न्यायाल के प्रधान न्यायाधीश पी. डी. दिनाकरन और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही के जरिये उन्हें हटाया गया था।

तीन न्यायाधीशों की कमेटी द्वारा न्यायमूर्ति शुक्ला के खिलाफ मेडिकल कॉलेज घोटाले में प्रतिकूल आचरण की टिप्पणी की गई थी।

कमेटी में मद्रा उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी, सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस. के. अग्निहोत्री और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी. के. जायसवाल शामिल थे।

जांच कमेटी द्वारा न्यायमूर्ति शुक्ला के न्यायिक कदाचार की पुष्टि होने पर उनके सामने या तो खुद अपने पद से इस्तीफा देने या सरकार द्वारा उनके खिलाफ न्यायाधीश (जांच) अधिनियम 1986 के तहत महाभियोग चलाने का विकल्प रह गया था।

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बताया जा रहा है कि न्यायमूर्ति शुक्ला ने स्वेच्छा से पद छोड़ने से मना कर दिया था। इसके बाद 23 जनवरी को उनसे न्यायिक कार्य ले लिया गया था।

मामला लखनऊ के निजी मेडिकल कॉलेज से संबंधित है जिसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की जा रही है। एजेंसी ने मामले में 20 सितंबर को उड़ीसा उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश इशरत मसरूर कुद्दुसी व कॉलेज के चेयरमैन समेत पांच अन्य को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया।

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