खतरे की घंटी ! शेयर बाजार में आया भूचाल, भारतीय नागरिक होंगे प्रभावित

दिलीप कुमार

रसिया और यूक्रेन के बीच 14 दिनों से नीरंतर यूद्ध जारी है। ऐसे में दुनिया भरके कई देशों में शेयर बाजार का हालात बद से बदतर है। इधर भारत में भी शेयर बाजार का दिवाला निकल गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस सप्ताह के पहले ही दिन जैसे ही शेयर बाजार ओपेन हुआ, वैसे ही बांबे स्टाक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सेचेंज (NSE) के निफ्टी में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। टाटा मोटर्स का शेयर आज 400 रूपये से नीचे खुला। अगर बात करें शेयर बाजर के गिरावट का तो यह 5.5 फीसदी की गिरावट के साथ 395 रूपये पर कारोबार कर रहा था।

आज जिस प्रकार से शेयर बाजार खुला उसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि आज फिर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी। प्रारंभिक सेशन में बीएई का सेंसेक्स 1100 अंक से कुछ ज्यादा गिरा हुआ था। बाजार के ओपेन होते ही यह अंक 1200 से ज्यादा नीचे की ओर उछाल मार दिया। यही अंक देखते ही देखते कुछ पल के बाद यह अंक 1400 अंक पार कर गया।

सुबह 9 बजे तक पुन: इस अंक में सुधार देखने को मिला लेकिन बाद में करीब 9:20 पर यह अंक 1375 अंक से गिरकर 53000 हजार तक पहुंच गया था। इसी तरह एनएसई का निफ्टी भी करीब 400 अंक से गिरकर 15,850 अंक तक आकर ट्रेंड कर रहा था।

Slight movements can mean big profits

यही हाल शुक्रवार को था, घरेलू बाजार में गिरावट दर्ज की गई थी। शुक्रवार को बीएसई का सेंसेक्स करीब 1.4 फीसदी से लुढ़कर 54,333 अंक पर पहुंच गया, वहीं एनएसई का निफ्टी भी करीब 1.53 फीसदी लुढ़कर 16,245 पर जा अटका था।

पिछले गुरूवार को कारोबार समाप्त होने के बाद बीएसई सेंसेक्स में 0.66 फीसदी के साथ मामुली घाटे को दर्ज किया गया, जबकि वहीं एनएसई का निफ्टी भी 0.65 फीसदी गिरावट के साथ 16,498.90 अंक पर बंद हुआ था।

इस युद्ध से दुनिया भर के शेयर बाजारों में जो गिरावट देखने को मिल रहा है वह मामुली है। यदि यह युद्ध नीरंतर जारी रहता है, तो दुनिया भर के देशों के लिए यह एक आर्थिक तंगी जैसा चुनौती है। इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी पुष्टि की है।

गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रिय बाजार में कच्चे तेलों के दामों में रेकार्ड वृद्धि दर्ज की जा रही है। इसका असर अभी भारत में पेट्रेल और डीजल के दामों पर अभी कोई असर देखने को मिल रहा है। पेट्रोल-डीजल के कीमतों के नियंत्रण पर विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अभी कई राज्यों में चुनाव है, इस लिए पेट्रोल-डीजल में कोई खास वृद्धि देखने को नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा इस नियंत्रण से केंद्र सरकार को बहुत घाटा हो रहा है, जिसकी रिकवरी केंद्र सरकार 10 मार्च को आने वाले परिणाम के बाद कर सकती है।

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