अक्षय तृतीया पर गहने खरीदते समय बरते सावधानियां, जाने क्या है शुध्दता की पहचान?

( रितिक भारती )

अक्षय तृतीया की तिथि का सनातन परंपरा में खास महत्व है। इस तिथि को कभी नष्ट न होने वाली तिथि के रूप में जाना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व यह है कि यह तिथि जो कभी नष्ट न होने वाले भंडार का आशीर्वाद देती है। भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी का प्रिय दिन होने के कारण यह तिथि धन-धान्य से परिपूर्ण होने का वरदान देती हैं। यह परंपरा अब ट्रेंड और फैशन का रूप ले चुकी है। अक्षय तृतीया अब एक तरह से लोगों का त्योहार नहीं बल्कि कॉरपोरेट उत्सव का रूप ले चुका है।

हालांकि सोना हो या हीरा या इनसे बने गहने, इन्हें खरीदते समय कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है।अगर गहनों की खरीदारी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो भारी नुकसान से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं कि वे कौन सी बातें हैं, जिनका ध्यान रखकर इस अक्षय तृतीया के अवसर पर आप अपना बड़ा नुकसान बचा सकते हैं।

1. बिल में जरूर डलवाएं हॉलमार्क का नंबर।

ज्वैलरी खरीदने जा रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखिए कि हॉलमार्क वाली ज्वैलरी ही लें। हॉलमार्क से सोने की शुद्धता का पता चलता है. इसके तहत अमूमन 18 कैरेट से 22 कैरेट तक की ज्वेलरी बिकती है. 22 कैरेट में 92% सोना और 18 कैरेट में 75% प्रतिशत सोना होता है। 24 कैरेट विशुध्द सोना होता है, जो इतना लचीला होता है कि गहने का आकार में सही परिवर्तन नही दे पाता है। सही आकार देने के लिए सोने में चांदी, तांबा और अन्य धातुओं की मिलावट जरूरी होती है. आशीष कहते हैं कि सोने के गहने, गिन्नी, सिक्के या बिस्किट खरीदने से पहले यह चेक करना चाहिए कि उस पर सही हॉलमार्क है या नही

2. गहनों में भरे मोम से होता है इतना नुकसान

ग्राहकों को सबसे ज्यादा नुकसान गहने में भरे गए मोम और चपड़ी के कारण होता है। जब ग्राहक गहने खरीदता है तो वह इन मिलावटी चीजों को भी सोने के भाव में ले आता है और जब वह बेचने जाता है, तो ज्वेलर इन्हें हटाकर दाम लगाते हैं। उन्होंने कहा कि हार, मंगलसूत्र आदि में सोने के दाने, घुंघरू या फुलावट के डिजाइन भी होते हैं। उनमें चपडी या मोम भरा हुआ होता है। इस बारे में दुकानदार तभी बताता है, जब उससे पूछा जाता है कि उन दानों के अंदर कितना मोम है। चूंकि भरे हुए मोम या चपड़े का वजन नहीं किया जा सकता, इस कारण आपको गहने बदलवाने या वापस बेचते समय 10% से 30 फीसद तक का नुकसान हो सकता है। सोने की ज्वेलरी में 10 से 30% तक मोम हो सकता है।

3. सोने के दाम पर न खरीदें नगीने।

सोने की ज्वेलरी में लगने वाले नगीने विशेष तौर पर भारी बनाए जाते है। अंगूठी और टॉप्स में इन भारी भरकम नगीनों का खूब इस्तेमाल होता है। जब भी आप कान के लिए टॉप्स खरीदें, तो उसके नगीने विशेष तौर पर चेक करें. दुकानदार या शोरूम के मालिक से पूछें कि इसमें नगीने का कितना वजन है? इसे हम अमेरिकन डायमंड भी भी कहते हैं. सोने की ज्वेलरी में 5 से 15 प्रतिशत तक नगीनों का वजन हो सकता है। नाक में पहने जाने वाले कांटों और लवंग में तो नगीनों का वजन 50% तक भी हो सकता है।

4. हीरे खरीदते समय इस बात को रखें याद

हीरा सदा के लिए तो है लेकिन इसकी खरीदारी करते समय भी कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। हमेशा हमेशा हीरा 0.9 कैरेट, 1.9 कैरेट आदि के हिसाब से ही लेना चाहिए। 1 कैरेट के हीरे और 0.9 कैरेट की कीमत में 50 हजार रुपये का अंतर तक हो सकता है, जबकि दिखने में कोई फर्क नही पड़ता है। जिस प्रकार गोल्ड में हॉलमार्क होता है, उसी प्रकार हीरे GIA सर्टिफाइड होते हैं, जिसमें उनके कट और रंग के हिसाब से D से Z तक मार्किंग होती है। ये मार्किंग लेजर की मदद से बनाए जाते हैं, जिन्हें आप GIA की वेबसाइट पर जाकर कन्फर्म कर सकते हैं।

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