यूपी में बन रही है नई नीति, एएनएम, जीएनएम व पैरामेडिकल में प्रदेश स्तरीय मेरिट से होगा दाखिला

उत्तर प्रदेश में आग्जिलरी नर्स एंड मिडवाइफरी (एएनएम), जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) और पैरामेडिकल कोर्स में अब निजी कॉलेज अपनी मर्जी से दाखिला नहीं ले पाएंगे। इन कोर्सों में अब प्रदेश स्तरीय मेरिट से दाखिला होगा। इसके लिए उप्र. स्टेट मेडिकल फैकल्टी नई नीति बना रही है। प्रस्तावित नीति पर कॉलेज के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों से सलाह मांगी गई है।

प्रदेश में एएनएम की 19,220 और जीएनएम की 18,323 सीटें हैं। पैरामेडिकल के विभिन्न डिग्री और डिप्लोमा कोर्स में करीब 20 हजार से अधिक सीटें हैं। अभी तक इनमें दाखिला कॉलेज प्रबंधन करता था। पर अब कॉलेज अपनी मर्जी से दाखिला नहीं ले पाएेंगे। दरअसल, वर्ष 2023-24 से केंद्रीयकृत व्यवस्था बनाई जा रही है। इसके तहत छात्रों को कोर्सवार आवेदन करना होगा, इसमें वरिष्ठता क्रम में कॉलेज का नाम भरना होगा। 

उप्र. स्टेट मेडिकल फैकल्टी में आने वाले आवेदनों में न्यूनतम योग्यता और इंटरमीडिएट में मिले नंबरों के हिसाब से राज्य स्तरीय मेरिट बनाई जाएगी। फिर काउंसिलिंग के जरिए कॉलेज अलॉट होंगे। फैकल्टी के सचिव प्रो. आलोक कुमार के मुताबिक अभी तक यह आरोप लगता था कि कॉलेजों की मिलीभगत से कम मेरिट वाले छात्रों को मनचाहे कोर्स और कॉलेज में दाखिला मिल जाता है। पर नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और मेधावी छात्रों के साथ न्याय होगा।

कोर्सवार अर्हता 
एएनएम : इंटरमीडिएट के साथ न्यूनतम उम्र 17 वर्ष। 
जीएनएम :  इंटरमीडिएट (विज्ञान), 40 फीसदी अंक अंग्रेजी के साथ न्यूनतम उम्र 17 वर्ष। इसी तरह पंजीकृत एएनएम, अंग्रेजी के साथ व्यवसायिक एएनएम में 40 फीसदी अंक पाने वाले, सीबीएसई से अंग्रेजी के साथ हेल्थ केयर साइंस में 40 फीसदी अंक पाने वाले।
पैरामेडिकल : न्यूनतम उम्र 17 वर्ष और इंटरमीडिएट (विज्ञान) में 40 फीसदी अंक होना अनिवार्य।

मेधावी कर सकेंगे मनचाही पढ़ाई
एएनएम, जीएनएम व पैरामेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए केंद्रीय व्यवस्था बनाई जा रही है। जल्द ही इसकी नीति जारी हो जाएगी। इससे मेधावी छात्रों को मनचाहा कोर्स और कॉलेज में दाखिला मिल सकेगा। चिकित्सा क्षेत्र का भविष्य भी उज्ज्वल होगा। 

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