मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची और आधार कार्ड से जुड़े कई अहम बिंदुओं पर स्पष्टता दी। उन्होंने कहा कि जिन मतदाताओं के वोटर कार्ड के डेटा में बदलाव होगा, उन्हें 15 दिनों के भीतर इलेक्ट्रॉनिक फोटो पहचान पत्र (EPIC) उपलब्ध कराया जाएगा।

मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आधार देना अनिवार्य नहीं है। सीईसी ने स्पष्ट किया कि आधार न तो जन्मतिथि, न नागरिकता, न ही निवास का प्रमाण है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आधार अथॉरिटी के नियमों में उल्लेखित है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही पुनरीक्षण के दौरान आधार कार्ड लेने की व्यवस्था शुरू की गई थी।
संविधान के तहत, मतदाता बनने के लिए भारत का नागरिक होना और उस क्षेत्र में निवास करना जरूरी है, जहां से व्यक्ति मतदान करना चाहता है। सीईसी ने बताया कि गैर-भारतीय या अयोग्य मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, हालांकि हटाए गए नामों की सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया गया। यह सूची जिला निर्वाचन अधिकारियों और राजनीतिक दलों के पास उपलब्ध है।
चुनाव तैयारियों पर जोर, बिहार में 243 सीटों के लिए विशेष इंतजाम
सीईसी ने बताया कि बिहार में 243 विधानसभा सीटों (एससी 2 और एससी 38 सहित) के लिए चुनाव तैयारियां जोरों पर हैं। मुख्य सचिव, डीजीपी, और अन्य विभागीय सचिवों के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी विभिन्न स्तरों पर समीक्षा की है। इस बार 90,127 मतदान केंद्रों पर विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। सभी केंद्रों पर मोबाइल रखने की सुविधा होगी, और वोटर स्लिप में बूथ का नाम व पता बड़े फ़ॉन्ट में होगा ताकि पढ़ने में आसानी हो।
पहली बार दिल्ली में बीएलओ की ट्रेनिंग, मानदेय बढ़ा
चुनाव आयोग ने पहली बार बिहार के सभी बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) की ट्रेनिंग दिल्ली में आयोजित की। इसके बाद 700 बूथ लेवल सुपरवाइजर्स और एजेंट्स को भी प्रशिक्षित किया गया। बीएलओ और सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (एआरओ/एईआरओ) का मानदेय बढ़ाया गया है, और बीएलओ को पहचान के लिए आईडी कार्ड दिए गए हैं। 22 साल बाद किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण को समय पर पूरा करना बड़ी उपलब्धि रही।
तकनीकी और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देने के लिए 40 अलग-अलग एप्लिकेशन की जगह एक वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म ECINET लॉन्च किया है, जो बिहार चुनाव में सक्रिय रहेगा। भीड़ कम करने के लिए अब किसी भी बूथ पर 1200 से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे। प्रत्याशी मतदान केंद्र से 100 मीटर के दायरे में स्टॉल लगा सकेंगे। सभी मतदान केंद्रों पर 100% वेबकास्टिंग होगी, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो। ईवीएम में प्रत्याशियों की तस्वीर रंगीन और सीरियल नंबर बड़े फ़ॉन्ट में होंगे।
ईवीएम-वीवीपैट मिसमैच की आशंका खत्म
पहले मतगणना के दौरान ईवीएम और वीवीपैट में मिसमैच की शिकायतें आती थीं। इसे रोकने के लिए अब दोनों की मिलान प्रक्रिया लागू की गई है। पोस्टल बैलट की गिनती पूरी होने के बाद ही ईवीएम की अंतिम गणना होगी। मतगणना के बाद डिजिटल इंडेक्स कार्ड जल्दी उपलब्ध कराया जाएगा। कुल 17 नए सुधार बिहार चुनाव में लागू किए जा रहे हैं।
मतदाता सूची और अपील की प्रक्रिया
सीईसी ने बताया कि भारत में चुनाव संविधान और लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत होते हैं। मतदाता सूची तैयार करने की जिम्मेदारी 243 निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) और 90,127 बीएलओ पर थी। गलत या छूटे हुए नामों के लिए जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और फिर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील का प्रावधान है। चुनाव के दौरान प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया जाता है, जो नियमों का पालन सुनिश्चित करता है।





