
भारत ने 23 सितंबर को जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की 60वीं सत्र के दौरान पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला। भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर क्षितिज त्यागी ने पाकिस्तान पर “अपने ही लोगों पर बमबारी” करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
यह कड़ा जवाब खैबर पख्तूनख्वा के तिराह घाटी में 21 सितंबर की रात हुए पाकिस्तानी वायुसेना के हमले के बाद आया, जिसमें कम से कम 30 नागरिकों, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, की मौत हुई थी।
UNHRC में भारत का बयान
एजेंडा आइटम 4 के तहत बोलते हुए, भारतीय राजनयिक क्षितिज त्यागी ने पाकिस्तान पर UNHRC मंच का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “एक प्रतिनिधिमंडल जो इस मंच के उद्देश्यों के विपरीत है, भारत के खिलाफ आधारहीन और उत्तेजक बयानबाजी करता रहता है।” त्यागी ने पाकिस्तान से कहा कि वह भारत के क्षेत्र पर नजर रखने के बजाय, अपने अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली करे और अपनी “जीवन रक्षक प्रणाली पर टिकी अर्थव्यवस्था, सैन्य प्रभुत्व से दबी राजनीति, और उत्पीड़न से दागदार मानवाधिकार रिकॉर्ड” को सुधारने पर ध्यान दे।
उन्होंने आगे कहा, “शायद तब, जब वे आतंकवाद निर्यात करने, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को पनाह देने, और अपने ही लोगों पर बमबारी करने से समय निकाल पाएं।”
खैबर पख्तूनख्वा हमले का विवरण
21 सितंबर की रात करीब 2 बजे, पाकिस्तानी वायुसेना के JF-17 लड़ाकू विमानों ने खैबर पख्तूनख्वा के मटरे डारा गांव में आठ LS-6 लेजर-निर्देशित बम गिराए। इस हमले में कम से कम 30 लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, और कई अन्य घायल हुए। स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज में तबाही का मंजर दिखा, जिसमें मलबे में दबे लोग, जले हुए वाहन, और ध्वस्त इमारतें नजर आईं।
पाकिस्तानी तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और स्थानीय निवासियों ने दावा किया कि यह “जेट बमबारी” थी, जिसने पांच घरों को नष्ट कर दिया। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने हवाई हमले की बात से इनकार किया और कहा कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के एक यौगिक में विस्फोटकों के फटने से यह विस्फोट हुआ।
पाकिस्तान का दावा और विवाद
पुलिस अधिकारी जफर खान ने दावा किया कि TTP आतंकवादी नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे और मटरे डारा में उनके पास बम बनाने की सामग्री जमा थी, जिसके फटने से यह हादसा हुआ। दूसरी ओर, PTI नेताओं ने इसे “नागरिकों के खिलाफ क्रूरता” करार दिया।
PTI विधायक अब्दुल घनी ने इसे “इतिहास पर एक काला धब्बा” बताया, जबकि अब्दुल अफरीदी ने इसे “मानवता के खिलाफ खुला अपराध” कहा। मानवाधिकार संगठन, जैसे ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान (HRCP), ने भी इस हमले की निंदा की और तत्काल निष्पक्ष जांच की मांग की।
पाकिस्तान में बढ़ती आतंकी गतिविधियां
खैबर पख्तूनख्वा, जो अफगानिस्तान की सीमा से सटा एक पहाड़ी क्षेत्र है, लंबे समय से आतंकी ठिकानों का गढ़ रहा है। 2021 में अफगान तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद TTP ने इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल अगस्त तक खैबर पख्तूनख्वा में 605 आतंकी हमले हुए, जिनमें 138 नागरिक मारे गए और 352 घायल हुए। हाल ही में दक्षिण वजीरिस्तान में TTP के एक हमले में 12 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत ने पाकिस्तान पर न केवल अपने नागरिकों के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया, बल्कि उसे आतंकवाद का पनाहगाह और निर्यातक भी बताया। त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी “जीवन रक्षक प्रणाली पर टिकी अर्थव्यवस्था” और सैन्य प्रभुत्व वाली राजनीति को ठीक करने की जरूरत है। उन्होंने UNHRC से आग्रह किया कि वह “सार्वभौमिक, निष्पक्ष, और गैर-चयनात्मक” दृष्टिकोण अपनाए और देश-विशिष्ट प्रस्तावों से बचे, जो पक्षपात को बढ़ावा देते हैं।
सामाजिक और वैश्विक संदर्भ
यह हमला और भारत की प्रतिक्रिया भारत-पाक संबंधों में तनाव को और बढ़ा सकती है। हाल ही में भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था, जिसके बाद जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे समूह खैबर पख्तूनख्वा में अपने ठिकाने बना रहे हैं।
भारत ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाकर अपनी आंतरिक विफलताओं से ध्यान हटाने की कोशिश करता है।