
समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान 23 महीने बाद 23 सितंबर 2025 को सीतापुर जेल से रिहा हो गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 18 सितंबर को रामपुर के क्वालिटी बार जमीन कब्जा मामले में जमानत मिलने के बाद उनकी रिहाई का रास्ता साफ हुआ था। हालांकि, 3,000 और 5,000 रुपये के दो बकाया जुर्मानों के कारण मंगलवार सुबह उनकी रिहाई में कुछ घंटों की देरी हुई।
दोपहर करीब 12:30 बजे औपचारिकताएं पूरी होने के बाद आजम खान जेल से बाहर आए और सीधे रामपुर के लिए रवाना हो गए। उनके समर्थकों ने जेल के बाहर भारी भीड़ के साथ उनका स्वागत किया, जबकि पुलिस ने सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए थे।
रिहाई में देरी का कारण
आजम खान की रिहाई मंगलवार सुबह 7 बजे निर्धारित थी, लेकिन रामपुर के एक मामले में 8,000 रुपये (3,000 और 5,000 रुपये) के जुर्माने का भुगतान न होने के कारण प्रक्रिया में देरी हुई। सीतापुर जेल के अधीक्षक सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट में जुर्माना जमा करने के बाद रसीद सत्यापन के लिए जेल प्रशासन को भेजी गई, जिसके बाद रिहाई की प्रक्रिया पूरी हुई। दोपहर 12:30 बजे के आसपास आजम खान जेल से बाहर आए।
जेल के बाहर समर्थकों का जमावड़ा
आजम खान की रिहाई की खबर फैलते ही उनके बेटे अदीब आजम खान, सपा के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक अनूप गुप्ता, जिला अध्यक्ष छत्रपति यादव, और सपा विधायक अनिल कुमार वर्मा सहित सैकड़ों समर्थक सीतापुर जेल के बाहर जमा हो गए। समर्थकों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की थी। इसके बावजूद, समर्थकों की गाड़ियों ने सड़कों पर जाम लगा दिया, जिसके चलते यातायात पुलिस ने कई वाहनों का चालान काटा। ड्रोन और स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) की मदद से जेल परिसर और रामपुर में आजम खान के आवास की निगरानी की गई।
कानूनी पृष्ठभूमि
आजम खान के खिलाफ 111 से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर 2017 के बाद बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद दर्ज किए गए। इनमें जमीन कब्जा, फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, और सड़क अवरोध जैसे आरोप शामिल हैं। 18 सितंबर 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्वालिटी बार मामले में जमानत दी, जिसके साथ ही उनके सभी 72 प्रमुख मामलों में जमानत हो चुकी है। इससे पहले, 10 सितंबर को डुंगारपुर कॉलोनी में जबरन बेदखली के मामले में और एक 17 साल पुराने सड़क अवरोध मामले में उन्हें राहत मिली थी।
सियासी अटकलें: सपा या बसपा?
आजम खान की रिहाई के साथ ही उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज हो गई है। कुछ समर्थकों और X पर चल रही चर्चाओं के अनुसार, आजम खान सपा नेतृत्व, खासकर अखिलेश यादव से नाराज हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी रिहाई के लिए पार्टी ने पर्याप्त प्रयास नहीं किए। सूत्रों का दावा है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती 9 अक्टूबर को लखनऊ में एक बड़ी सभा आयोजित करने वाली हैं, जिसमें आजम खान के बसपा में शामिल होने की संभावना है। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सपा के कुछ नेताओं ने X पर दावा किया कि अखिलेश यादव ने वकील इमरानुल्लाह और नासिर के जरिए उनकी रिहाई के लिए लगातार काम किया।
रामपुर में स्वागत की तैयारी
रिहाई के बाद आजम खान सीधे रामपुर के लिए रवाना हुए, जहां सपा कार्यकर्ता और समर्थक उनके भव्य स्वागत की तैयारी में जुटे हैं। रामपुर में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है, और स्थानीय खुफिया इकाई उनके आवास और करीबियों पर नजर रख रही है। आजम खान के समर्थकों का कहना है कि वह और उनका परिवार राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हुआ है, और उनकी रिहाई सपा के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है।
निष्कर्ष
23 महीने की लंबी क़ैद के बाद आजम खान की सीतापुर जेल से रिहाई उनके समर्थकों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। यह घटना उत्तर प्रदेश की सियासत में नए समीकरण बना सकती है, खासकर अगर आजम खान बसपा में शामिल होने का फैसला करते हैं। उनकी रिहाई ने सपा के भीतर नेतृत्व और एकजुटता पर सवाल उठाए हैं, और रामपुर में उनके स्वागत के बाद उनकी अगली रणनीति पर सभी की नजरें रहेंगी।