संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के पक्ष में भारत का ऐतिहासिक वोट: न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन को समर्थन, दो-राज्य समाधान पर जोर; इजरायल-अमेरिका ने किया विरोध

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में शुक्रवार, 12 सितंबर 2025 को भारत ने फिलिस्तीन मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान और दो-राज्य (टू-स्टेट) योजना का समर्थन करने वाले महत्वपूर्ण प्रस्ताव के पक्ष में पहली बार स्पष्ट मतदान किया। फ्रांस द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को ‘न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन’ भी कहा जाता है, जिसे भारत समेत 142 देशों ने समर्थन दिया।

10 देशों ने विरोध में वोट दिया, जबकि 12 देश मतदान से दूर रहे। विरोध करने वाले देशों में अर्जेंटीना, हंगरी, इजरायल, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा शामिल हैं। यह वोट गाजा संघर्ष पर भारत के पिछले रुख से एक स्पष्ट बदलाव दर्शाता है, जहां पिछले तीन वर्षों में भारत ने चार बार युद्धविराम की मांग वाले प्रस्तावों से खुद को अलग रखा था।

यह सात पन्नों का डिक्लेरेशन जुलाई 2025 में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का परिणाम है, जिसकी सह-मेजबानी सऊदी अरब और फ्रांस ने की थी। सम्मेलन का उद्देश्य दशकों पुराने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत को पुनर्जीवित करना था। डिक्लेरेशन में 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर हमले की निंदा की गई, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 250 से अधिक बंधक बनाए गए। साथ ही, गाजा में इजरायल के जवाबी अभियान की आलोचना की गई, जिसमें फिलिस्तीनियों की मौतें हो रही हैं और वे भुखमरी का शिकार हो रहे हैं।

घोषणापत्र में इजरायली नेताओं से दो-राज्य समाधान का स्पष्ट समर्थन करने, फिलिस्तीनियों के खिलाफ हिंसा तुरंत रोकने, पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर कब्जा बढ़ाने से बचने और हिंसा रोकने की अपील की गई है। इसमें गाजा को फिलिस्तीनी राज्य का अभिन्न हिस्सा बताते हुए वेस्ट बैंक के साथ जोड़ने, वहां कब्जा, घेराबंदी, जमीन हड़पना या जबरन विस्थापन न करने का आह्वान किया गया है। हमास से गाजा पर शासन समाप्त करने और हथियार फिलिस्तीनी अथॉरिटी को सौंपने की भी मांग की गई है।

इजरायल ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इजरायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मर्मोरस्टीन ने एक्स पर लिखा, “एक बार फिर साबित हो गया कि UN हकीकत से कटा एक राजनीतिक मंच है। इस प्रस्ताव में दर्जनों पॉइंट्स में कहीं हमास को आतंकी संगठन नहीं कहा गया।” अमेरिका ने भी विरोध जताया। अमेरिकी राजनयिक मॉर्गन ओर्टागस ने इसे ‘राजनीतिक दिखावा’ बताया और कहा कि यह हमास के लिए तोहफा है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो अगले हफ्ते इजरायल का दौरा करेंगे, जहां वे पूर्वी यरुशलम के एक विवादास्पद पुरातात्विक स्थल का दौरा कर सकते हैं, जिस पर फिलिस्तीनी अपनी भावी राजधानी का दावा करते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच कतर में हमास नेताओं पर इजरायल के हमले को लेकर तनाव के बावजूद, रुबियो रविवार से दो दिवसीय यात्रा पर इजरायल पहुंचेंगे। यह दौरा संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनी राज्य गठन पर बहस से ठीक पहले हो रहा है।

भारत का यह वोट उसके विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो फिलिस्तीन के आत्मनिर्णय के अधिकार और शांति वार्ता पर जोर देता है। यह कदम गाजा युद्ध के बीच भारत की संतुलित भूमिका को मजबूत करता है, जहां वह इजरायल का प्रमुख रक्षा साझेदार होने के बावजूद फिलिस्तीनी कारण का समर्थन करता रहा है।

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