उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: सांसदों को प्रशिक्षण क्यों? जटिल मतदान प्रक्रिया का समझें कारण

9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण नई तकनीक या प्रक्रिया के लिए नहीं, बल्कि मतदान की जटिल प्रणाली को समझने के लिए है।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और इंडिया गठबंधन दोनों अपने सांसदों को इस प्रक्रिया के लिए तैयार कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनाव कैसे होते हैं और सांसदों को प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों पड़ रही है।

उपराष्ट्रपति चुनाव की पृष्ठभूमि

यह चुनाव जुलाई 2025 में जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद हो रहा है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। इस बार NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है। NDA के पास 425 सांसदों का समर्थन है, जबकि इंडिया गठबंधन के पास 324 वोट हैं। जीत के लिए 391 वोटों की आवश्यकता है, लेकिन बीजद, बीआरएस और शिअद जैसे दलों के मतदान से दूरी बनाने के कारण यह संख्या 385 तक कम हो गई है।

सांसदों को प्रशिक्षण क्यों?

उपराष्ट्रपति चुनाव की मतदान प्रक्रिया जटिल है, क्योंकि इसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (STV) प्रणाली का उपयोग होता है। इस प्रणाली में सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता (पहला, दूसरा, आदि) के आधार पर रैंक करते हैं। यदि कोई उम्मीदवार पहली गिनती में आवश्यक कोटा (आधे से अधिक वोट) हासिल नहीं करता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटाया जाता है और उनके वोटों को दूसरी प्राथमिकता के आधार पर स्थानांतरित किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार कोटा हासिल नहीं कर लेता।

इस प्रणाली की जटिलता के कारण सांसदों को गलत वोट डालने का जोखिम रहता है, जिससे उनका वोट अवैध हो सकता है। उदाहरण के लिए, 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में कई वोट अवैध घोषित हुए थे, क्योंकि सांसदों ने गलत तरीके से मतपत्र भरा था। इसीलिए प्रशिक्षण जरूरी है ताकि सांसद मतपत्र को सही ढंग से भरें और उनका वोट गिना जाए।

प्रशिक्षण की प्रक्रिया

  • NDA का प्रशिक्षण: 7 सितंबर से नई दिल्ली में दो दिवसीय कार्यशाला ‘संसद कार्यशाला’ का आयोजन किया गया। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य BJP सांसदों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में मतदान प्रक्रिया, मतपत्र भरने के नियम और रणनीति पर चर्चा हुई। NDA ने अपने सांसदों को एकजुट रखने के लिए ब्रेकफास्ट मीटिंग भी आयोजित की।
  • इंडिया गठबंधन का मॉक पोल: 8 सितंबर को इंडिया गठबंधन ने अपने सांसदों के लिए मॉक पोल आयोजित किया। इसमें सांसदों को मतपत्र भरने और प्राथमिकता चुनने की प्रक्रिया समझाई गई। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य नेताओं ने सांसदों को गलतियों से बचने की सलाह दी, ताकि कोई वोट बर्बाद न हो।

उपराष्ट्रपति बनाम राष्ट्रपति चुनाव

  • उपराष्ट्रपति चुनाव: इसमें केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद (कुल 781) वोट डालते हैं। प्रत्येक सांसद का वोट समान मूल्य का होता है। STV प्रणाली के कारण मतपत्र सही ढंग से भरना महत्वपूर्ण है।
  • राष्ट्रपति चुनाव: यह अधिक जटिल है, क्योंकि इसमें सांसदों के साथ-साथ विधानसभा के विधायक भी वोट डालते हैं। विधायकों के वोटों का मूल्य राज्य की जनसंख्या के आधार पर अलग-अलग होता है, और सांसदों के वोटों को संतुलित करने के लिए एक गणना सूत्र का उपयोग होता है। उपराष्ट्रपति चुनाव में यह जटिलता नहीं है, लेकिन STV प्रणाली इसे चुनौतीपूर्ण बनाती है।

प्रशिक्षण की आवश्यकता के कारण

  1. गलत वोट का जोखिम: STV प्रणाली में सांसदों को उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में रैंक करना होता है। गलत निशान या प्रक्रिया का पालन न करने से वोट अवैध हो सकता है।
  2. क्रॉस वोटिंग की आशंका: NDA और इंडिया गठबंधन दोनों क्रॉस वोटिंग को रोकने के लिए सांसदों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। विपक्ष ने 2022 में अवैध वोटों के कारण नुकसान उठाया था, जिसे दोहराने से बचना चाहता है।
  3. जागरूकता और अनुशासन: प्रशिक्षण सांसदों को प्रक्रिया के नियमों, जैसे गुप्त मतदान और मतपत्र की गोपनीयता, के बारे में जागरूक करता है। यह गठबंधन के भीतर अनुशासन बनाए रखने में भी मदद करता है।
  4. पहली बार चुने गए सांसद: कई नए सांसदों को इस प्रक्रिया का अनुभव नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद 240 नए सांसद चुने गए हैं, जिन्हें प्रशिक्षण की विशेष जरूरत है।

उपराष्ट्रपति चुनाव की STV प्रणाली सांसदों के लिए तकनीकी रूप से जटिल है, और छोटी सी गलती वोट को अवैध कर सकती है। NDA और इंडिया गठबंधन दोनों अपने सांसदों को प्रशिक्षित कर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके वोट प्रभावी हों और रणनीति के अनुसार परिणाम आए। यह प्रशिक्षण न केवल प्रक्रिया को समझाने के लिए है, बल्कि गठबंधन की एकजुटता और रणनीतिक जीत को पक्का करने के लिए भी जरूरी है।

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