चंदन मिश्रा हत्याकांड में बिहार STF की बड़ी कार्रवाई: मुख्य समेत 8 गिरफ्तार, कोलकाता में छापेमारी, एक आरोपी घायल

पटना के पारस एचएमआरआई अस्पताल में 17 जुलाई को हुए गैंगस्टर चंदन मिश्रा हत्याकांड में बिहार पुलिस और विशेष कार्य बल (STF) ने बड़ी सफलता हासिल की है। बिहार STF और कोलकाता पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में मुख्य शूटर तौसीफ खान उर्फ बादशाह, नीशू खान, और छह अन्य आरोपियों को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया है।

इस कार्रवाई के दौरान एक आरोपी घायल हो गया, और एक महिला सहित कुल आठ लोग हिरासत में लिए गए। यह कार्रवाई 19 जुलाई 2025 की देर रात कोलकाता के आनंदपुर और न्यू टाउन क्षेत्रों में की गई। पुलिस सभी आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर पटना ला रही है, और जल्द ही इस मामले में बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है।

हत्याकांड:
चंदन मिश्रा, एक कुख्यात गैंगस्टर और हत्या का सजायाफ्ता कैदी, पैरोल पर रिहा होने के बाद पटना के पारस एचएमआरआई अस्पताल में फिस्टुला और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए भर्ती था। 17 जुलाई 2025 को सुबह करीब 7:15 बजे, छह शूटरों ने अस्पताल के प्राइवेट वार्ड (कमरा नंबर 209) में घुसकर चंदन पर 36 गोलियां दागीं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हमले के दौरान चंदन की सुरक्षा में तैनात दुर्गेश पाठक को पैर के अंगूठे में गोली का छर्रा लगा, जबकि एक अन्य व्यक्ति, कृष्णकांत पांडे, बाथरूम में छिपकर बच गया। हमलावरों ने हत्या को अंजाम देने के बाद हथियार लहराते हुए भागने से पहले इसका वीडियो भी बनाया।

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारियां:
बिहार पुलिस और STF ने हत्या के 48 घंटे के भीतर ही जांच शुरू कर दी थी। सीसीटीवी फुटेज और खुफिया जानकारी के आधार पर पांच शूटरों की पहचान की गई: तौसीफ खान उर्फ बादशाह (फुलवारी शरीफ, पटना), मोनू (बेलौर, बक्सर), बलवंत उर्फ भिंडी (लिलाधरपुर, बक्सर), अभिषेक, और नीलेश। 19 जुलाई को बिहार STF, पटना पुलिस, और कोलकाता पुलिस ने संयुक्त रूप से कोलकाता के न्यू टाउन और आनंदपुर क्षेत्रों में छापेमारी की।

  • गिरफ्तार आरोपी:
  1. तौसीफ खान उर्फ बादशाह: मुख्य शूटर, जिसने हत्या की योजना बनाई और गोली चलाई। वह फुलवारी शरीफ का रहने वाला है और पहले से हथियार अधिनियम के तहत मामला दर्ज है।
  2. नीशू खान: तौसीफ का मौसेरा भाई, समनपुरा (पटना) का रहने वाला। उसने शूटरों को अपने घर में पनाह दी और हत्या की साजिश में मदद की। वह पहले गोलीबारी में घायल हो चुका है और कथित तौर पर लकवाग्रस्त है।
  3. हर्ष उर्फ हरीश कुमार: हत्या से दो दिन पहले शूटरों को अस्पताल की रेकी के लिए ले गया था।
  4. सचिन सिंह: साजिश में शामिल, कोलकाता में तौसीफ के साथ गिरफ्तार।
  5. भीम कुमार: हत्या में सहायता और शूटरों को भगाने में शामिल।
  6. अल्पना दास: एक महिला, जिसकी भूमिका की जांच जारी है। संभवतः शूटरों को पनाह देने या हथियार मुहैया कराने में शामिल।
  7. युनूस खान: साजिश में शामिल, कोलकाता से गिरफ्तार।
  8. अज्ञात घायल आरोपी: छापेमारी के दौरान गोलीबारी में घायल, उसकी पहचान स्पष्ट नहीं।

छापेमारी के दौरान पुलिस ने कोलकाता के आनंदपुर में एक गेस्ट हाउस से एक सफेद रंग की कार (संभवतः मारुति सुजुकी डिजायर) जब्त की, जिसे शूटरों ने भागने के लिए इस्तेमाल किया था।

गोलीबारी की घटना और गवाहों का बयान:
कोलकाता के आनंदपुर में छापेमारी के दौरान कथित तौर पर गोलीबारी हुई, जिसमें एक आरोपी घायल हो गया। स्थानीय गवाह कृष्ण घोष ने बताया कि 19 जुलाई की शाम करीब 7:30 बजे गेस्ट हाउस के पास शोर सुनाई दिया, और पुलिस ने क्षेत्र को घेर लिया। हालांकि, उन्होंने गोली चलने की आवाज नहीं सुनी। एक अन्य गवाह, मुनमुन, ने कहा कि उन्होंने एक घायल व्यक्ति को एंबुलेंस में ले जाते देखा, जिसके पैर में चोट थी। इस घटना ने स्थानीय लोगों में डर पैदा कर दिया, और कई ने अपनी और बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई।

हत्याकांड की पृष्ठभूमि और साजिश:
पुलिस जांच में पता चला कि हत्या के पीछे गैंगस्टर शेरू सिंह उर्फ ओमकार सिंह का हाथ है, जो वर्तमान में पुरुलिया जेल (पश्चिम बंगाल) में बंद है। चंदन मिश्रा और शेरू के बीच भागलपुर जेल में पुरानी दुश्मनी थी, और शेरू ने जेल से ही हत्या की साजिश रची। तौसीफ, जो खुद को “किंग ऑफ पटना” कहता है और सोशल मीडिया पर अपनी आपराधिक छवि प्रदर्शित करता है, को सुपारी देकर हत्या को अंजाम देने की जिम्मेदारी दी गई थी। तौसीफ ने अपने फेसबुक बायो में लिखा था, “मेरे नाम से शहर कांपता है,” और उसने हत्या का वीडियो बनाकर अपनी बेखौफ छवि को और मजबूत करने की कोशिश की।

चंदन मिश्रा के पिता, श्रीकांत मिश्रा उर्फ मंटू मिश्रा, ने शास्त्री नगर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें पारस अस्पताल प्रशासन और सर्जन डॉ. पिंटू कुमार सिंह पर साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया। उनका दावा है कि चंदन को 15 जुलाई को सर्जरी के बाद 16 जुलाई को डिस्चार्ज होना था, लेकिन जानबूझकर उसे अस्पताल में रोका गया।

पुलिस और प्रशासन पर सवाल:
इस हत्याकांड ने बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अस्पताल के आईसीयू जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इतने साहसिक तरीके से हत्या ने सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया। लापरवाही के आरोप में शास्त्री नगर थाने के पांच पुलिसकर्मियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। विपक्षी दलों ने इस घटना को “जंगल राज” की वापसी करार देते हुए नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधा है।

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