ऑपरेशन केलर: शोपियां में भारतीय सेना की बड़ी कार्रवाई, लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकी ढेर

ऑपरेशन केलर भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के केलर जंगल क्षेत्र में शुरू किया गया एक हालिया आतंकवाद-रोधी अभियान है। यह मिशन 13 मई 2025 को राष्ट्रीय राइफल्स की इकाइयों द्वारा शोएकल केलर क्षेत्र में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकियों की मौजूदगी की सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर शुरू किया गया।

इस ऑपरेशन में सेना ने घने जंगल में तीन लश्कर आतंकियों को मार गिराया, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक और बड़ी सफलता है।

ऑपरेशन के दौरान, सेना ने क्षेत्र को घेरकर तलाशी अभियान शुरू किया, जिसके जवाब में आतंकियों ने भारी गोलीबारी की। घने जंगल में लंबी और तीव्र गोलीबारी के बाद, तीनों आतंकी मारे गए, और उनके शव जंगल की गहराई से बरामद किए गए। मारे गए आतंकियों की पहचान अनंतनाग के स्थानीय निवासी हुसैन थोकर और दो संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकियों—अली भाई (उर्फ तल्हा भाई) और हाशिम मूसा (उर्फ सुलेमान) के रूप में हुई। ये तीनों पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और क्षेत्र में कई आतंकी गतिविधियों में शामिल थे।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद की रणनीति
ऑपरेशन केलर, 7 मई 2025 को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के ठीक बाद आया, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमले किए थे। ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के जवाब में शुरू किया गया था। ऑपरेशन केलर की सफलता कश्मीर घाटी में भारत के आतंकवाद-रोधी प्रयासों को और मजबूत करती है।

लश्कर-ए-तैयबा के बारे में
लश्कर-ए-तैयबा, 1980 के दशक के अंत में मार्कज-उद-दावा-वाल-इरशाद के सशस्त्र विंग के रूप में गठित, एक पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन है, जो वहाबी विचारधारा से प्रेरित है। शुरू में जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने पर केंद्रित, इसने बाद में पूरे भारत में अपनी गतिविधियों का विस्तार किया, जिसका उद्देश्य पूरे उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन स्थापित करना है। लश्कर को भारत, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे कई देशों ने आतंकी संगठन घोषित किया है। यह दक्षिण एशिया के सबसे खतरनाक और सक्रिय आतंकी समूहों में से एक है।

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और भारत की प्रतिक्रिया
जम्मू-कश्मीर लंबे समय से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का केंद्र रहा है। 1980 के दशक के अंत से, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार घुसपैठ, सशस्त्र उग्रवाद और पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों द्वारा बढ़ाई गई कट्टरता ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए निरंतर खतरा पैदा किया है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन जैसे समूह पाकिस्तान में सुरक्षित पनाहगाहों में काम करते हैं, जो वहां की सरकार, सेना और खुफिया एजेंसियों के संरक्षण में हैं। इनका उद्देश्य स्थानीय अशांति को बढ़ावा देना और नागरिकों, सशस्त्र बलों व महत्वपूर्ण ढांचे पर बड़े हमले करना है।

भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति में पिछले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव आया है। 1990 के दशक की पारंपरिक सैन्य कार्रवाइयों से लेकर आज के सर्जिकल स्ट्राइक, सटीक खुफिया ऑपरेशनों और आधुनिक निगरानी के उपयोग तक, भारतीय सशस्त्र बल आतंकवाद के बदलते चेहरों का मुकाबला करने के लिए लगातार अनुकूलन कर रहे हैं। ऑपरेशन केलर इस रणनीति का एक उदाहरण है, जो खुफिया जानकारी और सामरिक कार्रवाई के समन्वय को दर्शाता है।

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