यूपी बजट: यह भ्रामक है, राज्य को आगे ले जाने का कोई रोडमैप नहीं: विपक्ष
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह राज्य में भाजपा सरकार का “दूसरा आखिरी बजट” है। राज्य में 2027 में चुनाव होने हैं।
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बजट को “भ्रामक” कहने से लेकर गरीबों और बेरोजगार युवाओं के लिए कुछ भी नहीं देने तक, विपक्ष ने गुरुवार को कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार के नौवें बजट में उत्तर प्रदेश को आगे ले जाने के लिए कोई रोडमैप नहीं है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि यह राज्य में भाजपा सरकार का “दूसरा आखिरी बजट ” है । राज्य में 2027 में चुनाव होने हैं।
अखिलेश ने कहा, “यह भाजपा सरकार का नौवां बजट है, लेकिन इसमें गरीबों के लिए वादे के मुताबिक कुछ भी नहीं है। यह बजट नहीं है। यह एक बड़े ढोल की तरह है, जो शोर तो खूब मचाता है, लेकिन अंदर से खोखला है। यह बजट खोखला है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि नौ बजट के बाद भी आदित्यनाथ सरकार 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले उनकी पार्टी द्वारा किए गए चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही। उन्होंने कहा, “सरकार ने राज्य को आगे बढ़ाने के लिए कोई रोडमैप बनाए बिना ही बजट पेश किया है। आम लोगों की ज़रूरतों को कैसे पूरा किया जाएगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।”
उन्होंने भाजपा द्वारा बार-बार “सबसे बड़ा बजट” पेश करने के दावों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हर नया बजट स्वाभाविक रूप से पिछले बजट से बड़ा होता है। उन्होंने कहा, “हर बार जब वे बजट पेश करते हैं, तो कहते हैं कि यह सबसे बड़ा बजट है। यह बयान कोई भी सरकार दे सकती है क्योंकि हर बजट पिछले बजट से बड़ा होता ही है।”
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि अगर बजट व्यापक जनहित और जनकल्याण को ध्यान में रखकर बनाया जाता तो यह बेहतर होता। मायावती ने ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट की श्रृंखला में लिखा, ” महंगाई , गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकार की मंशा और नीति का स्पष्ट अभाव है। सच्चा विकास कैसे संभव है?”
उन्होंने कहा कि बजट का उद्देश्य ‘‘अच्छे-खासे मध्यम वर्ग को खुश करना है, जबकि सरकार की वास्तविक चिंता और संवैधानिक जिम्मेदारी करोड़ों परिवारों को गरीबी से बाहर निकालकर ‘‘सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय’’ के उद्देश्य को पूरा करना होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि जब राज्य के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं और बेहतर सड़क, पानी, स्कूल, अस्पताल, आजीविका की मांग कर रहे हैं, तो उन्हें मौजूदा समस्याओं का समाधान देने के बजाय अन्य सपने दिखाना उचित नहीं है।
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और असमानता से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के शहरों, गांवों और क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
बसपा प्रमुख ने राज्य सरकार के दृष्टिकोण की आलोचना की और कहा कि “अन्य सपने” पेश करना इन बुनियादी मुद्दों का समाधान नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा के इस दावे को भी खारिज किया कि उसके शासन से पहले उत्तर प्रदेश की स्थिति खराब थी। मायावती ने कहा, “यह दावा सही नहीं है कि भाजपा के शासन से पहले उत्तर प्रदेश की स्थिति खराब थी।” उन्होंने कहा, “मेरी बसपा सरकार में जनहित और कल्याण के साथ-साथ अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था के मामले में हर स्तर पर बेहतरीन कानून का शासन था। यह कुछ ऐसा है जिसके लिए लोग अब तरस रहे हैं, जबकि बहुजन समाज भाजपा की नीतियों के कारण पीड़ित है।”
कांग्रेस ने बजट को ‘निराशाजनक’ और ‘धोखेबाज़ी’ करार दिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “राज्य का बजट फर्जी आंकड़ों और दावों से भरा हुआ है। सरकार भारी कर्ज में डूबी हुई है और प्रति व्यक्ति आय के मामले में यूपी 28वें स्थान पर है। इसके अलावा, गन्ना किसानों के एमएसपी में पिछले 7 सालों में सिर्फ 55 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।”
राय ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि सरकार कर्ज कम होने का दावा कर रही है, लेकिन वास्तव में उत्तर प्रदेश का वित्तीय बोझ बढ़ गया है।
राय ने कहा, ‘‘31 मार्च 2024 तक राज्य का कुल कर्ज 6,67,106.03 करोड़ रुपये था।’’
उन्होंने कहा, “साल दर साल राज्य का बजट एक रस्म से ज़्यादा कुछ नहीं रह गया है। उत्तर प्रदेश के 25 करोड़ लोगों को धोखा देने के लिए झूठे वादे, भ्रामक आँकड़े और झूठे सपने दिखाए जा रहे हैं।” – पीटीआई इनपुट्स के साथ