बच्चों के प्रारम्भिक देखरेख और विकास के बजट पर उत्तर प्रदेश फोर्सेस ने किया मंथन, जानिए क्या निकला निष्कर्ष
लखनऊ: 19.98 करोड़ की कुल जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश जनसंख्या घनत्व के मामले में भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जिसमें से 15.41 प्रतिशत जनसंख्या 0-6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की है। चूंकि 0-6 वर्ष तक की उम्र बच्चों के जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है इसलिए इस समय बच्चों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार बाल देखभाल और विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाती है, लेकिन सरकारी बजट उन बुनियादी दस्तावेजों में से एक है, जो बजट के आवंटन और व्यय के माध्यम से यह दर्शाता है कि सरकार प्रारंभिक बाल देखभाल और विकास के लेकर क्या प्रयास कर रही है। उपरोक्त बातें उत्तर प्रदेश फोर्सेस के रामायण यादव के द्वारा कहीं गईं।
बाल सेवा योजना के बजट को किया गया दोगुना
प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं विकास पर कार्य कर रही सामाजिक संस्थाओं ने उत्तर प्रदेश फोर्सेस के साथ मिलकर एक मंथन किया और पाया कि सरकार द्वारा 2023-24 के लिए पेश किया बजट स्वागत योग्य है। सरकार ने नैशनल न्युट्रिशियन मिशन के बजट मे 158.76 प्रतिशत की वृद्धि की है साथ ही प्रधानमंत्री मात्रत्व वंदना योजना मे 12.39 प्रतिशत की वृद्धि की है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के बजट को वर्ष 2023-24 के पेश किए गए बजट को दुगुना कर दिया है। वर्तमान बजट मे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पक्ष मे एक स्वागत योग्य नया प्रयास किया गया है ,आयुष्मान भारत योजना के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए 2500 लाख रुपये का आवंटन है। मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना के तहत पंजीकृत महिला श्रमिक /श्रमिकको संस्थागत प्रसव होने पर 1000 रुपये के मेडिकल बोनस के अलावा तीन महीने के वेतन के बराबर राशि मिलती है। इसी प्रकार पंजीकृत पुरूष श्रमिक/श्रमिक की पत्नियों के संस्थागत प्रसव की दशा में 6000 रुपये की एकमुश्त राशि प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त, अधिकतम दो बच्चों के जन्म पर, लड़के के जन्म के लिए रु0. 20000 और लड़की के जन्म के लिए रु0. 25000 की राशि जमा की जाएगी, जो दोनों के लिए 18 वर्ष की आयु में परिपक्व होगी।
इन जगहों पर प्रयासों को और बढ़ाने की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश फोर्सेस ने नेशनल फोर्सेस एवं हक संस्था के साथ मिलकर वर्ष 2023 -24 के बजट की गहराई से विश्लेषण किया तो पाया कि उपरोक्त स्वागत योग्य कदमों के होते हुये भी प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं विकास के लिए किए गए प्रयासों को और बढ़ाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश राज्य 2023-24 के कुल बजट मे प्रारम्भिक बाल देखरेख का हिस्सा मात्र 1.73 प्रतिशत है जो कि वर्ष 2022-23 की वित्तीय वर्ष मे 1.82 प्रतिशत था, मतलब इस वर्ष बजट 0.09 प्रतिशत कम हुआ है। यदि समेकित बाल विकास योजना के बजट की बात करे तो इसकी सभी घटकों मे कुल 19.66 प्रतिशत की कमी हुयी है। उदिशा प्रशिक्षण कार्यक्रम, जिसमे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन किया जाता है, के लिए कोई बजट नही रखा गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं हेल्परों के मानदेय मे पिछले वर्ष की तुलना मे इस वर्ष 0.43 प्रतिशत की कमी की गई है। जहां तक बच्चों के लिए क्रेश की व्यवस्था की बात करे तो राज्य सरकार के बजट मे ऐसा कोई प्रावधान नही है न ही केंद्र सरकार की पालना योजना के राज्य स्तरीय संचालन हेतु कोई प्रावधान रखा गया है।
उड़ीसा सरकार की तरह ही यूपी सरकार इस दिशा में करे कार्य
उपरोक्त बजट विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि सरकार ने प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं विकास के लिए एक मिश्रित बजट पेश किया है जिसमे उत्तर प्रदेश फोर्सेस सरकार से अभी और सुधार की मांग रखती है। असंगठित क्षेत्र मे कार्यरत श्रमिकों के बच्चों हेतु क्रेश खोलने एवं उनके संचालन के लिए बजट का प्रावधान किया जाये एवं बाल देखरेख की सेवाओं मे कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता , सहायिकाओं के प्रशिक्षण के लिए उदिशा योजना के लिए बजट रखा जाये। बजट के संबन्ध मे मांग के आलावा बाल देखरेख की सेवाओं को सुद्रढ़ करना विशेष रूप से आंगनवाड़ी, क्रेच व स्वास्थ्य सेंटर के सभी भवन बाल मित्र हो- जिसमें मुलभुत सुविधाएँ जैसे साफ सुधरा स्थान, अच्छाभवन, पानी, बिजली, शैाचालय की व्यवस्था हो। उड़ीसा राज्य की तरह उत्तर प्रदेश मे भी जिला खनिज कोष के तहत बाल देखरेख सेवा को शुरू किया जाये। उत्तर प्रदेश फोर्सेस नेशनल फोर्सेस का राज्य स्तरीय हिस्सा है जो कि जन्म से छह वर्ष की आयु तक के बच्चों और प्राथमिक देखभाल करने वालों के रूप में उनकी माताओं और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के अतिव्यापी अधिकारों के मुद्दों पर देश के 09 राज्यों मे काम करता है।