क्यों खा जा है ऊँट जहरीले साँप को ? वजह जान कर रह जाएंगे दंग
शकुन्तला
ऊँट के मुँह में जीरा ये कहावत तो आपने कई बार सुनी होंगी लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है की रेगिस्तान का जहाज कहा जाने वाला ये जानवर ज़हरीले साप को जिन्दा ही खा जाता है। दिखने में बेहद शांत और मेहनती ये जानवर किसी अजूबे से कम नहीं है।
ऊँट रेगिस्तान की तपती जमीन पर कई दिनों तक बिना पानी पिए रह सकता है। यह रेतीले तपते रास्तों पर 50-60 किलोमीटर घंटा की रफ्तार से दौड़ने में माहिर होता है। इतना ही नहीं ऊँटनी का दूध इंसानो के लिए बेहद पौष्टिक माना जाता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी की ऊँटो को जिन्दा जहरीला साँप खिलाया जाता है और उसके बाद भी ऊँट जिन्दा रहता है।
अरब, अफ़्रीकी और अन्य रेगिस्तानी इलाको में ऊँट का प्रयोग और पालन किया जाता है। ऊँट एक शाकाहारी जानवर है लेकिन कभी कभी ऊँट को एक अजीब बिमारी हो जाती है जिसमे उनके पैर और मुँह में बहुत दर्द होता है। वो खाना पिना छोड़ देते है और उनका शरीर अकड़ने लगता है जिससे इनकी मौत भी हो जाती है। मध्य पूर्व में ऐसी मान्यता है ऊँट की इस बिमारी को ठीक करने के लिए उसे जहरीला सांप खिलाना जरुरी है।
मान्यता हैं कि ऐसा करने से सांप का ज़हर ऊंट के शरीर में फ़ैल जाता है। जैसे-जैसे ज़हर का असर कम होता है, ऊंट भी ठीक होता जाता है। ज़हर का असर पूरा खत्म होते ही ऊंट फिर से पहले की तरह खाने-पीने लग जाता है। हालांकि, वैज्ञानिक रूप से ये कितना सही है, इस पर कोई निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं है। ना ही इस बात का कोई सटीक प्रमाण मिलता है कि सच में ऊँटो की इस बीमारी के इलाज के लिए ऐसा किया जाता है।