अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन वर्तमान में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद हैं और चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ खड़े हो रहे है एक समूह के साथ अपना सहयोग बढ़ा रहे हैं।

दरअसल एशिया में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन ने अपनी पहली यात्रा में दक्षिण कोरिया के नए चुने गए नेता यून सुक यियोल से भी मिले। सोमवार यानी आज जो बाइडन की जपानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात होनी है। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति की अगले दिन यानी मंगलवार को जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत से क्वाड समिट में मुलाकात होगी।
इसी बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत नीति कभी भी सफल नहीं हो सकती।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक चीनी विदेश मंत्री ने अपने पाकिस्तानी समक्ष बिलावल भुट्टो के साथ गुआंगझू में रविवार को हुई बैठक के बाद कहा कि तथ्य यह साबित करेंगे कि कथित हिंद-प्रशांत नीति में काफी मतभेद हैं, यह रणनीति मतभेद बढ़ाने के लिए है, यह नीति शांति भंग करने के लिए है।
बता दें कि बाइडेन इस आयोजन में हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क को भी सार्वजनिक करेंगे। इस बैठक के दौरान अन्य कई नेता वर्चुअली शामिल होंगे। आईपीईएफ बाइडेन प्रशासन का एक प्रयास है जिससे एशिया में चीन का प्रभाव कम करने में मदद मिल सकती है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ट्रांस-पेसिफिक पार्टनरशिप रीजनल ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत से बाहर हो गया था।
गौरतलब है कि इस फ्रेमवर्क में खासतौर से स्वच्छ ऊर्जा, सप्लाई चेन की मजबूती, डीकार्बनाइजेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, टैक्सेशन और एंटी करप्शन पर काम होना है। अमेरिका ने शुरुआती देशों की सुची बनाई है, जो आईपीईएफ एग्रीमेंट के हिस्सा होंगे। लेकिन उन्होंने कहा कि इस महीने के आखिर तक और भी देश इस समझौते का हिस्सा बनेंगे।