निर्देशों के उड़ती धज्जियां, ऐसे में कैसे होगा डिजिटल इंडिया का सपना पूरा
(अमर सदाना)
छत्तीसगढ़ राज्य के जिला महासमुंद अंतर्गत ग्राम पंचायतों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार से धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। ग्राम पंचायतों में सरपंच और सचिव इस राशि की बंदरबाट में लगे हैं। हालात है कि वरिष्ठ कार्यालय के आदेश, निर्देश को दरकिनार कर राशि आहरण किया गया। इसमें सिर्फ सरपंच सचिव ही नहीं बल्कि जनपद सीईओ की भूमिका भी संदेहास्पद है।
मामला जिले के बसना जनपद क्षेत्र का है। यहां 14 वे वित्त आयोग की राशि संबंधित सप्लायर या फर्म के खाते में पीएफएमएस (पब्लिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम) के माध्यम से अंतरित न कर सरपंच सचिव ने विड्राल भरकर नगद आहरण कर लिया। खास बात यह है कि इस तरह का आहरण न करने की मनाही के बाद भी आदेश दरकिनार कर नगद आहरण किया गया। इस काम में बसना जनपद के तत्कालीन सीईओ पंकज देव ने पंचायत के प्रस्ताव पर अनुशंसा की है। बाद प्रस्ताव को आधार बनाकर, संबधित फर्म को भुगतान करने बैंक से नगद आहरण किया गया।
एक करोड़ से अधिक का हुआ नगद आहरण
जानकारी के अनुसार बसना जनपद के 37 से अधिक ग्राम पंचायतो में मनाही के बाद भी पीएफएमएस से भुगतान न कर नगद आहरण किया गया। औसतन एक पंचायत में सात से 10 लाख रुपये तक बगैर पीएफएमएस लेनदेन हुआ है। जो ढाई करोड़ रुपये से अधिक का मामला है। प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर इन पंचायतो में भैंसाखुरी, अजगरखार, अंकोरी, बारडोली, बरबसपुर, बरपेलाडीह, बिजराभाठा, बिरसिंगपाली, बुटिपाली, चनाट, छुइपाली, चिमरकेल, चिपरिकोना, दलदली, दुरुगपाली, हरदा, जमदरहा, जोगीपाली, खोखसा, खोरारा, कुडेकेल, कुरमाडीह, लोहड़ीपुर, लोहरिनडिपा, मेदनीपुर, मेढ़ापाली, मोहका, मुनगाडीह, परसकोल, रसोड़ा, रूपापाली, सागरपाली, सलखण्ड, संतपाली, सुखापाली, उढेला, उमरिया शामिल हैं।
ऐसे में कैसे बनेगा डिजिटल जिला
प्रदेश में महासमुंद जिला को डिजिटल भुगतान के लिए पायलेट प्रोजेक्ट में रखा गया है। सरकारी के साथ ही निजी लेनदेन को भी डिजिटल या कैशलेस लाने प्रयास किया जा रहा है। लीड बैंक के साथ बैंक अधिकारियों की बैठक में कलेक्टर इस बात पर जोर देते हैं, दूसरी ओर लाखो रुपये का भुगतान बैंक प्रबंधन, पंचायत सचिव और जनपद सीईओ की अनुशंसा देखकर कर देते हैं, ऐसे में पायलट प्रोजेक्ट वाला महासमुंद जिला कैसे शत प्रतिशत केश लैस या डिजिटल लेनदेन वाला जिला बनेगा ,अंदाजा लगाया जा सकता है।
अधिकारी ने जारी किया था निर्देश
27 नवम्बर 2019 को पंचायत संचालनालय छतीसगढ़ से संचालक जितेंद्र कुमार शुक्ल ने सभी जिला पंचायत सीईओ को निर्देश जारी किया था। जिसमे स्पष्ठ उल्लेख किया गया था कि समस्त पंचायतो को 14वे वित्त आयोग के अंतर्गत प्रथम किश्त की राशि जारी की गई है। उक्त राशि का व्यय पंचायतो द्वारा पीएफएमएस प्रणाली के माध्यम से सरपंच व सचिव के डिजिटल सिग्नेचर (डीएससी) के माध्यम से करें, जिससे राशि का व्यय ऑनलाइन रखा जा सके, यदि व्यय अन्य माध्यम से किया जाता है तो इसके लिए सचिव जिम्मेदार होगा।
संचालक के पत्र के परिपालन में चार दिसम्बर 2019 को सीईओ जिला पंचायत डा रवि मित्तल ने सभी जनपद सीईओ को पत्र भेजा। यह पत्र बैंक को भी सूचनार्थ भेजा गया। लेकिन जनवरी 2020 में पूरे प्रदेश में एकमात्र ब्लाक बसना में ही इसका उलंघन कर नगद आहरण किया गया।
शिकायत पर जांच के आदेश, लेकिन पांच माह बाद भी जांच नहीं
नगद लेनदेन पर रोक ले बाद भी पंचायतो की मनमानी की शिकायत जब, जिला पंचायत सीईओ डा रवि मित्तल तक पहुँची तब उन्होंने आठ अक्टूबर 2020 को बसना जनपद सीईओ को पत्र लिखकर भैंसाखूरी, आमापाली, अजगरखार,बनडबरी, बाराडोली सहित अनेक ग्राम पंचायत में नगद आहरण की शिकायत पर जांच कर सात दिवस के भीतर प्रतिवेदन भेजने निर्देशित किया। जिस पर अबतक जांच पूरी नहीं हुई है।