क्या अपर्णा दोहरा पाएंगी मेनका गांधी वाला इतिहास ? सपा के खिलाफ अपर्णा को लेकर बीजेपी ने की है प्लानिंग
अभिनव त्रिपाठी
यूपी विधानसभा चुनाव में वोट पड़ने की तारीख जैसे- जैसे नजदीक आ रही है सभी पार्टियां अपना दम-खम लगाने में जुट गई है। धीरे-धीरे चुनावी रंग बदलने लगा है दांव पेंच का इस्तेमाल करना राजनीतिज्ञों द्वारा शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव लड़ने की घोषणा होने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। जहां पर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे वहीं पर आखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से उम्मीदवार होंगे। बीजेपी उनके खिलाफ एक मजबूत प्रत्याशी ढूंढ रही है पर जानकारों की मानें तो यह सीट अखिलेश के लिए उतनी ही सुरक्षित है जितनी योगी आदित्यनाथ के लिए गोरखपुर शहर विधानसभा की सीट है।
सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक पता चला कि इस सीट पर बीजेपी अखिलेश यादव के खिलाफ मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को चुनाव में उतारने को लेकर विचार कर रही है। अगर इस हालात में अपर्णा इस सीट से चुनाव लड़ती है तो कांटे की टक्कर होगी इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा क्योंकि आखिलेश यादव का ध्यान तब इस सीट पर ज्यादा केंद्रित हो जाएगा।
आपको बता दें की जब अपर्णा ने बीजेपी का दामन थामा था तो बीजेपी ने अखिलेश पर यह आरोप लगाया कि इनसे अपना परिवार नहीं संभल रहा है ये प्रदेश क्या संभालेंगे। अगर हम अपर्णा की बात करें तो वो हमेशा आखिलेश यादव पर सीधा हमला करने से बचती हुई नजर आई हैं। अपर्णा 2017 में लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ी थी पर उन्हे हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन अगर अखिलेश के खिलाफ अपर्णा ने सच में चुनाव लड़ा तो 38 साल पुराना राजनैतिक इतिहास दोहरा जाएगा जब राजीव गांधी के खिलाफ मेनका गांधी चुनाव में उतरी थीं।
राजीव गांधी के खिलाफ मेनका गांधी ने लड़ा था चुनाव
यूपी सियासत की बात करें तो चुनावी मैदान में इससे पहले भी गांधी परिवार के दो सदस्य आमने-सामने रहे हैं। आपको बता दें कि सन 1984 में अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ वर्तमान सांसद मेनका गांधी ने संजय विचार मंच पार्टी से चुनाव लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में उन्हे हार का सामना करना पड़ा था पर हार के बाद में वो काफी चर्चा में रहीं क्योंकि उनकी जनसभाओं में भारी भीड़ होती थी।
1980 में हुए विमान हादसे में संजय गांधी का निधन हो गया था जिसके बाद हुए अमेठी उपचुनाव में इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी को मैदान में उतारने का फैसला किया और उनके खिलाफ विपक्ष ने शरद यादव को अपना प्रत्याशी बनाया। पर 1984 में हुए चुनाव में राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा था।