कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन संकट के बीच NTAGI सदस्य का बड़ा बयान, जाने यहां पर

कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन संकट के बीच वेल्लूर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डॉक्टर मुलयिल ने कहा, ‘भारत में कोविड-19 के चलते 12 साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का एक भी मामला नहीं देखा गया है। हमने कैंसर, ल्यूकेमिया और अन्य बीमारियों के चलते बच्चों में मौत दर्ज की हैं, जहां वे पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन इन मौतों का जिम्मेदार कोविड-19 को नहीं कहा जा सकता।’ फिलहाल, केंद्र सरकार की तरफ से टीकाकरण को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।

कोविड-19 (Covid-19) के खिलाफ टीकाकरण पर सरकार की तरफ से गठित पैनल के सदस्य का कहना है कि देश में कोविड-19 के खिलाफ बच्चों के टीकाकरण की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है। बच्चों को वैक्सीन नहीं देने का यह फैसला जिस डेटा के आधार पर लिया गया है, वह दिखाता है कि कोविड के चलते बच्चों में विशेष मृत्यु दर नहीं है। अक्टूबर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने भी वरिष्ठ अधिकारियों से कहा था कि बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी देने या टीकाकरण अभियान शुरू करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

नेशनल टेक्निकल एड्वाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन के सदस्य डॉक्टर जयप्रकाश मुलयिल के मुताबिक, पैनल ने केंद्र सरकार को बताया है कि ‘बच्चे ठीक हैं और हमें अभी बच्चों का टीकाकरण नहीं करना चाहिए।’ भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत 16 जनवरी से हुई थी। इसके बाद 1 मई से 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।

भारत सरकार बच्चों के लिए टीकाकरण की शुरुआत से पहले काफी सावधानी बरत रही है। ऐसे में NTAGI को अंतिम योजना जमा करने से पहले ही सभी पहलुओं को देखने के लिए कहा था। इससे पहले भी मंडाविया ने अधिकारियों को विकसित देशों में बच्चों के धीमे टीकाकरण के पीछे के कारणों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कहा था।

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