“मृत किसानों का डेटा है हमारे पास, सोमवार को लिस्ट रखेंगे सदन में”: Rahul Gandhi
कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किसानों द्वारा किए गए आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के आंकड़ों के बारे में सवाल पूछे जाने पर केंद्र सरकार ने कहा था की उनके पास किसी भी किसान के मरने का कोई डेटा मौजूद नहीं है। इस बयान के बाद विपक्ष केंद्र सरकार पर जम कर हमला बोल रहा है। इसी कड़ी में, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मृत किसानों की एक लिस्ट दिखाते हुए एक प्रेस कान्फ़्रेंस में केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा की, “हमने इनमें से (लिस्ट दिखाते हुए) ज़्यादातर परिवारों को 5-5 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया है। उनके परिवारों को नौकरी भी दी जा रही है। लेकिन सरकार ये स्वीकार नहीं करना चाहती।”
उन्होंने कहा की, “मोदी सरकार मृत किसानों के परिजनों को मुआवज़ा देना ही नहीं चाहती। सरकार ने कोरोना से मारे गए लोगों के आंकड़े के बारे में भी यही कहा था। तब भी सरकार ने कहा था कि उनके पास कोरोना से मारे गए लोगों का आंकड़ा नही है। सरकार चाहे तो हमसे पंजाब में मारे गए किसानों के परिवार का रिकॉर्ड ले और उन्हें मुआवज़ा दे। सरकार जब अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को फ़ायदा पहुँचाना चाहती है तो उसे किसी आधार की ज़रूरत नहीं पड़ती।”
एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा की, “सरकार ग़रीबों और किसानों की बात करती है, लेकिन जब मदद की बात आती है तो कहती है कि पैसा नहीं है। प्रधानमंत्री ने माफ़ी माँगी। क्यों माँगी? इसलिए कि कृषि क़ानून गलत थे और उनकी वजह से किसान सड़क पर आए। अगर कृषि क़ानूनों के कारण आंदोलन की वजह से किसान मारे गए, तो उन्हों उन पीड़ित परिवारों के बारे में भी सोचना चाहिए। मोदी (Modi) को उन मृत किसानों के परिवारों के बारे में सोचना चाहिए। उनकी पढ़ाई लिखाई और भविष्य के बारे में सोचना चाहिए, जैसे कि पंजाब ने किया। अगर वो थोड़ी सी संवेदनशीलता और मानवता दिखाएँ तो इसमें ज़रा सी भी देर नहीं लगेगी।”
प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा की, “उन्हें (मोदी को) अहंकार-घमंड है, वो सोचते हैं कि सत्ता में हैं तो सुनने की ज़रूरत नहीं। इंसानियत नहीं है। प्रधानमंत्री अगर उन परिवारों और बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य के बारे में सोचे तो एक मिनट में काम कर लेते। लेकिन प्रधानमंत्री अपनी इमेज अपनी पोज़ीशन के बारे में सोच रहे हैं.। ये कम है, 700 को अगर 5 लाख दिए तो कम है। हम नौकरी भी दे रहे हैं। देश की सरकार को मानवीय आधार पर ये काम कर लेना चाहिए। सोमवार (6 दिसंबर) के दिन मैं ये (मृत किसानों के नामों की लिस्ट) सदन में रखूँगा। मृतक किसानों को मुआवज़ा के सवाल पर संसद में कहा गया कि, डेटा नहीं है तो मुआवज़ा नहीं दिया जा सकता। हमने पंजाब के 403 मृतक किसानों के परिजनों को 5-5 लाख मुआवज़ा दिया है। 500 की लिस्ट हम सरकार को दे रहे हैं, वो मुआवज़ा दे दें। बाक़ी जो बचे हैं वे पब्लिक रिकॉर्ड से हमारे पास हैं, तो 700 लोग होते हैं। 152 परिजनों को हमने नौकरी दी है। बाक़ी को भी देने वाले हैं। सरकार थोड़ा सा मुआवज़ा नहीं देना चाहती। संसद में दो मिनट का मौन तक नहीं हुआ। ये ग़लत है। सरकार के पास रिकॉर्ड है, वे चाहे तो हमसे ये नाम ले ले।”
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