जिन लोगों को लगाई गई थी ‘नकली वैक्सीन’ अब उन्हें टीकाकरण में मिलेगी प्राथमिकता, दिया जाएगा प्रमाण पत्र

देश में कोरोना का टीकाकरण तेजी से जारी है। इस बीच आपको बता दें कि जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन के परीक्षण में नकली वैक्सीन यानी प्लेसबो दिया गया था अब उन्हें टीकाकरण में अधिक प्रथिमकता के साथ वैक्सीन लगाई जाएगी। इतना ही नहीं इन लोगों के वैक्सीन की दो डोज लेने के बाद प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जाएगा। जानकारी के मुताबिक भारत में हुए वैक्सीन परीक्षण में एक लाख से भी अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था। इन लोगों ने पिछले वर्ष भारत बायोटेक की कोवाक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड वैक्सीन के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण में हिस्सा लिया था। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इन लोगों को कुछ समूहों में बांट दिया गया था जिसमें कुछ लोगों को असली वैक्सीन लगाई गई थी वहीं कुछ को वैक्सीन के नाम पर सिर्फ प्लासबो ही दिया गया।

यह पूरी प्रक्रिया बैच नंबर के आधार पर चलती है जिसके बारे में कंपनी के अलावा अन्य किसी के पास जानकारी नहीं होती है। यहां तक कि वैक्सीन लगाने वाले को भी नहीं पता होता कि यह असली है या फिर प्लेसबो। यदि बात करें ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ समिति के एक वरिष्ठ अधिकारी की तो उनके अनुसार परीक्षण में शामिल लोगों को अलग से वैक्सीन लेने की जरूरत नहीं है। इन लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी फॉर्मा कंपनियों की है। इसलिए जो लोग परीक्षण में शामिल हुए थे और उन्हें नहीं पता कि वैक्सीन लगा था या नहीं। ऐसे लोग उक्त केंद्र या अस्पताल में जाकर जानकारी ले सकते हैं और आगे की प्रक्रिया के बारे में भी पूछताछ कर सकते हैं।

क्या होता है प्लासबो?

प्लासबो एक तरह का तरल पदार्थ होता है जिसे विशेष स्थियों में डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता है। असल में यह किसी भी मर्ज की दवाई नहीं होती है। यह मात्रा एक तरह पदार्थ होता है लेकिन मरीज को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती। जब मरीज को यह दिया जाता है तो उसे लगता है कि उसका असली दवाओं के साथ इलाज चल रह है लेकिन ऐसा नहीं होता है। इसका इस्तेमाल मरीज के मसतिष्क को भ्रम में करने के लिए किया जाता है। ताकि उसे लगे कि वह असली दवा ले रहा है और उसका दिमाग बिमारी से लड़ने में काम करने लग जाए।

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