
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण के ‘जनक’ बतौर चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ना शुरू हो गया है. रविवार को ही ब्रिटेन के एक थिंक टैंक ने कोविड-19 वायरस के फैलाव के लिए चीन को दोषी माना, तो अब एक थिंक टैंक ने चीन पर कानूनी कार्रवाई और मुकदमा करने के लिए 10 संभावित कारण गिनाए हैं. इसके साथ ही ब्रिटेन की हैनरी जैक्सन सोसाइटी ने चीन से हर्जाने बतौर 6.5 ट्रिलियन डॉलर वसूलने की मांग की है. इसके पहले अमेरिका चीन पर कोरोना वायरस फैलाने के लिए 20 डॉलर का मुकदमा कर चुका है. यह अलग बात है कि बीजिंग प्रशासन इन आरोपों से हाथ झाड़ते हुए कोरोना वायरस के प्रचार-प्रसार में अपना हाथ होने से स्पष्ट इंकार कर रहा है.
चीनी लैब पर ब्रिटेन का सीधा आरोप
गौरतलब है कि इसके पहले ब्रिटेन ने इस वायरस के फैलाव का कारण पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित की. इस कमेटी के एक सदस्य ने दावा करते हुए कहा कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यह वायरस जानवरों से इंसान में फैला है, लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि जानवरों में यह वायरस चीन के एक लैब से लीक होने के कारण फैला है. चीन इस बात को पूरी दुनिया से छिपा रहा है. कमेटी का कहना है कि चीन के वुहान में ही वायरस को रखने की लैब मौजूद है.
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और यहां इस वायरस का सबसे ज्यादा असर हुआ है. ऐसे में इस बात को सिरे से नकारा नहीं जा सकता है. वुहान में मौजूद इस इंस्टीट्यूट में कई प्रयोग भी किए गए थे. इन प्रयोग में यह देखने की कोशिश की गई थी कि इस वायरस का संक्रमण कितनी तेजी से फैलता है. कुछ खबरें ऐसी भी आई थीं कि इस इंस्टीट्यूट के कर्मचारियों को भी इस वायरस से संक्रमित पाया गया.