एक बार फिर संकट कि मोड़ पर खड़ी हैं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था…

एक बार फिर पाकिस्तान कि अर्थव्यवस्था गिरती हुई नज़र आ ही हैं. बतादें कि इकोनॉमी के गंभीर संकट बढ़ने के बावजूद अब जंग का खतरा बताते हुए भारत के खिलाफ जिहाद की बात कर रहे हैं. वहीं पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने कुछ ही समय पहले राजकोषीय विवरण जारी किया है, जिसका खुलासा अर्थव्यवस्था में भयावह स्थिति में किया गया हैं.

 

 

देखा जाए तो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के एक साल पूरे होने पर राजकोषीय घाटा 8.9 फीसदी दर्ज किया गया, जो शायद देश के इतिहास में सर्वोच्च है. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में राजस्व काफी घट गया है, जबकि खर्च उतना ही है जितना पिछले साल था.

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खबरों  के मुताबिक आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि खर्च पर नियंत्रण के लिए जो भी कदम उठाए गए, वे नाकाम रहे जबकि राजस्व में भारी गिरावट आई, जो वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में पहले ही शुरू हो चुकी थी.

राजकोषीय घाटे में ज्यादा वृद्धि अंतिम तिमाही में आई. जहां पूर्व आर्थिक सलाहकार और अब नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलोजी में बिजनेस स्कूल के डीन अशफाक हसन खान ने कहा, ‘मैंने अपने पूरे करियर में कभी राजकोषीय घाटे का इतना उच्चस्तर नहीं देखा.’

दरअसल आतंकी संगठनों की फंडिंग की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था ‘फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) की ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बाद अब पाकिस्तान पर एशिया पैसिसिफ समूह (एपीजी) से ब्लैकलिस्ट होने का खतरा भी मंडरा रहा है.

ब्लैकलिस्ट होने की स्थिति में आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए कई चुनौतियां एक साथ पेश हो जाएंगी. पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था वैश्विक वित्तीय व्यवस्था से बिल्कुल कट जाएगी. इसके अलावा, पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मई में स्वीकृत हुए 6 अरब डॉलर के रेस्क्यू पैकेज पर भी खतरा मंडराएगा और उसकी अर्थव्यव्यवस्था की विश्वसनीयता खराब होने से निवेश भी गिर जाएगा.

 

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