
ईरान और यूएस के बीच का टकराव हर रोज एक नया मोड़ ले रहा है. सोमवार को ईरान ने अपना यूरेनियम भंडार बढ़ाने का ऐलान कर दिया है ताकि परमाणु समझौते को बचाए रखने के लिए यूरोपीय देशों पर दबाव बनाया जा सके.
पिछले साल यूएस ईरान व यूरोपीय देशों के साथ हुए परमाणु समझौते से बाहर हो गया था और ईरान पर तमाम तरह के प्रतिबंध भी लागू कर दिए थे.
दूसरी तरफ, पेंटागन ने घोषणा की है कि वह मध्य-पूर्व में सुरक्षा बढ़ाने के लिए 1000 अतिरिक्त अमेरिकी सैनिकों को भेजेगा. अमेरिका मध्य-पूर्व में ईरान को खतरा करार देता है. अमेरिका ने पहले ही मध्य-पूर्व में भारी-भरकम सैन्य टुकड़ी की तैनाती की हुई है.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने इससे पहले ही यूरोप को चेतावनी दी थी कि 7 जुलाई तक नया परमाणु समझौता किया जाए नहीं तो उनका देश अपना यूरेनियम भंडार बढ़ा लेगा.
ईरान के परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रवक्ता बेहरूज कमलवंडी ने कहा कि ईरान का यूरेनियम संवर्धन 20 फीसदी तक पहुंच सकता है जो परमाणु हथियारों के लिए जरूरी स्तर से केवल एक कदम दूरी पर है.
यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट देते हुए विदेशों में उसके कच्चे तेल की खरीदारी को लेकर प्रतिबंध लगा दिया था.
ऐसा लगता है कि अब ईरान यूएस के कदम से परेशान होकर उस पर अधिकतम दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.
इसी सप्ताह होर्मूज स्ट्रेट में तेल टैंकरों पर हमला हुआ था जिसके बाद वॉशिंगटन ने ईरान को दोषी ठहराया था. हालांकि, ईरान ने हमले में किसी भी भूमिका से इनकार कर दिया था.
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लेकिन उसने फारस की खाड़ी से गुजरने वाले तेल टैंकों को निशाना बनाने के लिए 1980 से ही माइन बिछाई हुई हैं. बता दें कि इस रास्ते से दुनिया का एक-चौथाई कच्चा तेल होकर गुजरता है.
कमलवंडी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा, अगर यह स्थिति जारी रहती है तो फिर कोई डील नहीं होगी. उन्होंने यूरोपीय देशों पर वक्त बर्बाद करने का आरोप भी लगाया.
फ्रांस के नए राजदूत से मुलाकात करते हुए ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने भी सोमवार को कुछ इसी तरह की चेतावनी जारी की थी. उन्होंने कहा था, परमाणु डील करने के लिए वक्त हाथ से निकला जा रहा है.
फिलहाल, स्थिति बहुत खराब है , फ्रांस व अन्य पार्टियों के पास परमाणु समझौता बचाने में ऐतिहासिक भूमिका अदा करने के लिए सीमित वक्त है.
2015 में विश्व के ताकतवर देशों और ईरान के बीच हुए परमाणु समझौते की शर्तों के मुताबिक, ईरान 300 किलो से ज्यादा न्यूनतम संवर्धित यूरेनियम का भंडार नहीं रख सकता है.
कमलवंडी ने कहा कि न्यूनतम संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन चार गुना बढ़ाने के फैसले के बाद उनका देश का यूरेनियम भंडार 300 किलो निर्धारित सीमा को पार कर जाएगा.
विएना आधारित IAEA ने पिछले महीने कहा था कि ईरान अपने यूरेनियम भंडार की निर्धारित सीमा पर कायम है, हालांकि ईरान के इस ऐलान के बाद उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
कमलवंडी ने कहा कि ईरान फिलहाल कुछ समय यूएन को अपनी परमाणु क्षमता का निरीक्षण करने के लिए इजाजत देगा.
उन्होंने कहा कि ईरान को बुशेर में न्यूक्लियर पावर प्लांट में केवल 5 फीसदी संवर्धित यूरेनियम की जरूरत है जबकि तेहरान रिसर्च रिएक्टर के लिए 20 फीसदी संवर्धित ईंधन की
2015 का परमाणु समझौता ईरान को 3.67 फीसदी तक यूरेनियम संवर्धन की अनुमति देता है जो पावर प्लांट व अन्य शांतिपूर्ण कार्यों के लिए पर्याप्त है.
लेकिन अमेरिका के परमाणु समझौते से बाहर होने और ईरान पर प्रतिबंध तेज करने के कदम के बाद रोहानी ने यूरोप के लिए 7 जुलाई की डेडलाइन तय कर दी है.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम के विस्तार करने का खतरा ये होगा कि उसे परमाणु हथियारों के लिए जरूरी संवर्धित यूरेनियम से केवल कुछ परमाणुों का हटाना होगा.
समझौते के तहत ईरान आर्थिक प्रतिबंधों में छूट के बदले अपने यूरेनियम संवर्धन के कार्यक्रम को सीमित करने के लिए तैयार हो गया था. जब ट्रंप सत्ता में आए तो उन्होंने ईरान के साथ हुए पुराने परमाणु समझौते से यूएस को अलग कर लिया.
हालांकि ईरान के नए ऐलान से यूएस को अजीब स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. अब वे उस डील की शर्तों को ईरान से मानने के लिए कैसे कहें जिससे ट्रंप खुद बाहर हो गए थे.
राज्य विभाग के प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा, ये दुखद है कि उन्होंने आज ऐसी घोषणा की है. हालांकि ये बिल्कुल भी हैरान करने वाला नहीं है और यही वजह है कि हमारे राष्ट्रपति ने पहले ही कहा था कि 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) की जगह दूसरी डील लानी चाहिए.
वहीं, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि अगर ईरान धमकियों के रास्ते पर चल रहा है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को प्रतिबंधों को लागू कराना चाहिए. इजरायल किसी भी सूरत में ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा.
पिछले कुछ महीनों में यूएस-ईरान के बीच लगातार तनातनी देखने को मिल रही है. यूएस ने ईरान के कथित खतरे का हवाला देते हुए इस क्षेत्र में एयरक्राफ्ट कैरियर व सेना टुकड़ी की तैनाती की थी.
वहीं, फारस की खाड़ी से होकर गुजरने वाले तेल टैंकों पर लगातार रहस्यमयी हमले हो रहे हैं जिनके लिए यूएस ईरान को जिम्मेदार ठहराता रहा है. ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने भी सऊदी अरब पर मिसाइल व ड्रोन हमले किए हैं.
यूएस ईरान की पैरामिलिट्री रिवॉल्यूशनरी गार्ड पर तेल टैंकरों पर हमले में शामिल होने का आरोप लगाता है. रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ईरान के सुप्रीम नेता अयोतुल्लाह अली खुमैनी के प्रति जवाबदेह है और पारंपरिक सेना के नियंत्रण से बाहर काम करती है.
ईरान के सैन्य बलों के जनरल स्टाफ के प्रमुख जनरल मोहम्मद हुसैन बाघेरी ने तेहरान के तेल टैंकरों में हमले के आरोप को इनकार किया.
उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनका देश खुलकर, मजबूत और गंभीर तरीके से जवाब देगा. होर्मूज स्ट्रेट पर अपना पारंपरिक पक्ष दोहराते हुए बाघेरी ने कहा, अगर हम होर्मूज स्ट्रेट को ब्लॉक करने का फैसला करते हैं तो हम इसे ऐसे तरीके से करेंगे कि फिर इस रास्ते से तेल की एक बूंद भी पास नहीं हो सकेगी.