मोदी जीत में ‘उज्ज्वला’ को माना गया महत्वपूर्ण फैक्टर, लेकिन हकीक़त कुछ और है !…

लोकसभा चुनाव में मोदी की लहर नहीं सुनामी थी. भाजपा जीती और प्रचंड बहुमत से जीती. कई रिकॉर्ड टूट गए. देशभर में मोदी का डंका बजने लगा. जीत के बाद विशेषज्ञों ने कहा कि मोदी के विकास के आगे सब कुछ फेल है.

उनकी योजनाओं की खूब वाहवाही हुई और उसमें उज्ज्वला योजना को महत्वपूर्ण फैक्टर माना गया. लेकिन एक ताजा रिपोर्ट कुछ और ही जमीनी हकीकत बयां कर रही है.

सरकार ने दावा किया था कि उज्ज्वला योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले 8 करोड़ लोगों को फ्री एलपीजी कनेक्शन बांटे गए. इसका क्रेडिट प्रधानमंत्री को दिया गया.

पीएम मोदी खुद प्रचार के दौरान रैलियों में इसका बखान किया. उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना से गांव की महिलाओं को राहत मिली है. उन्हें घरेलू वायु प्रदूषण से मुक्ति मिल गई है.

 

क्या है ताजा रिपोर्ट

शोधकर्ताओं की एक ताजा रिपोर्ट ने मोदी सरकार के दावों की हवा निकाल दी है. विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कोलैबोरेटिव क्लीन एयर पॉलिसी सेंटर द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौत घरेलू वायु प्रदूषण से हो रही है.

 

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कैसे होता है घरेलू वायु प्रदूषण

घरेलू वायु प्रदूषण मुख्य रूप में घर में खाना बनाने के दौरान फैलता है. घरों में जब हम चूल्हे में लकड़ी, पौधों की सूखी पत्तियां और गोबर के उपला जैसी चीजों को जलाकर खाना बनाते हैं तो घरेलू वायु प्रदूषण होता है.

 

रिपोर्ट में क्या है तथ्य

रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कुल 16 करोड़ घरों में आज भी ऐसी चीजों का इस्तेमाल कर खाना बनाया जा रहा है. इसी तथ्य को आबादी के रूप में देखा जाए तो कुल 58 करोड़ लोग यानी लगभग आधी आबादी आज भी लकड़ी, सूखी पत्तियां या उपला जैसे ठोस ईंधन का इस्तेमाल कर रही है.

इससे घरेलू वायु प्रदूषण का अंदाजा लगाया जा सकता है. उज्ज्वला योजना की इतनी सफलता के बाद भी घरेलू प्रदूषण से सबसे ज्यादा लोग मर रहे हैं और उनमें महिलाएं सबसे ज्यादा शिकार हो रही हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक वाहनों से होने वोले प्रदूषण से कई गुणा ज्यादा अब भी घरेलू वायु प्रदूषण है. घरेलू ठोस ईंधनों के जलने से महीन कण PM2.5,कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO)और कई जहरीले पदार्थ निकलते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है.

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, कॉरनेल यूनिवर्सिटी, मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ जर्मनी, आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने ग्रामीण इलाकों में शोध करने के बाद रिपोर्ट तैयार की है.

रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 11 लाख भारतीयों की मौत वायु प्रदूषण से होती है. इसमें से 8 लाख की मौत केवल घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है.

रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू वायु प्रदूषण ट्रैफिक वाहन और इंडस्ट्रियल प्रदूषण से कई गुणा ज्यादा है. वायु प्रदूषण में इसका योगदान करीब 52 फीसदी है.

 

दिल्ली समेत कहां कितना प्रदूषण

दिल्ली जहां पीएम मोदी सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं, वह दुनिया भर में सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी है. यहां घरेलू वायु प्रदूषण की तुलना में निर्माण कार्यों के कारण उड़ने वाली धूल और ट्रैफिक वाहन से निकलने वाले धुएं के कारण प्रदूषण फैल रहा है.

रिपोर्ट में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की प्रशंसा की गई है, लेकिन यह भी कहा गया है कि मोदी की नई सरकार को सभी घरों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी.

बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों में 72 फीसदी से ज्यादा घरों में ठोस ईंधन का इस्तेमाल हो रहा है.

 

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