
17वीं लोकसभा चुनाव के लिए 19 मई को अंतिम दौर खत्म हो गया। एग्जिट पोल आ चुके हैं और उसके आधार पर केंद्र में एक बार फिर से मोदी सरकार बनती दिखाई दे रही है। बहरहाल, एग्जिट पोल को यदि एग्जेट नहीं मानें तो सरकार किसकी बनेगी, इस पर सस्पेंस बरकरार है और अच्छे-अच्छे राजनीतिक विश्लेषक भी जनता की नब्ज़ पकड़ नहीं पा रहे हैं।
देश में आम राय है कि बीजेपी और सहयोगी दल बेहतर प्रदर्शन करेंगें। 543 सदस्यों वाली लोकसभा में 272 सीटों की ज़रूरत होगी। लेकिन ये तो है चुनावी गणित, इससे भी अधिक महत्वर्पूण है इन चुनावों में वो बातें जो देश के भविष्य से जुड़ी हैं और जो चुनाव में अलग-अलग राज्यों और सीटों पर हार जीत से इनका तय होना निश्चित है।
1. देश में पांच साल पूरा करने के बाद कोई गैर कांग्रेसी सरकार फिर से सत्ता में आ सकती है या नहीं।
2. बीजेपी और कांग्रेस जैसे दलों को राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने चाहिए या फिर अकेले।
3. विपक्षी गठबंधन की मिली-जुली सरकार बनी तो क्या कांग्रेस की भूमिका आने वाले भविष्य में केवल एक किंग मेकर की होकर रह जाएगी?
4. इन चुनावों में ये तय हो जाएगा कि उत्तर प्रदेश में बीएसपी और सपा का भविष्य क्या है? बिहार में आरजेडी खत्म हो जाएगी या उसका वजूद कायम रहेगा?
5. भोपाल में बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के बीच तय होगा कि लोग “हिन्दू आतंकवाद”के मुद्दे पर क्या राय रखते हैं?
6. राजस्थान और मध्यप्रदेश के परिणाम तय ये करेंगें कि क्या 2018 में हुए विधानसभा चुनाव केवल बीजेपी की राज्य सरकारों के प्रति लोगों का फैसला था या इसमें केंद्र सरकार के कामकाज पर भी लोगों की राय शामिल थी।
7. लोकसभा चुनाव के नतीजों से ही तय होगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, उडीसा झारखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब,
हरियाणा के नतीजे ये भी तय करेंगें कि क्षेत्रीय दलों की केंद्र सरकार में भूमिका होगी या नहीं।
8. पश्चिम बंगाल में क्या वामपंथी दलों के वर्चस्व खत्म होने के बाद तृणमूल कांग्रेस के तौर पर लोगों को विकल्प मिल गया है या बीजेपी एक नए विकल्प के तौर पर उभर रही है?