जानिए वो राष्ट्रपति जिसकी जीत का ऐलान हुआ था जामा मस्जिद से , इनके बारे में कुछ ख़ास बातें…
नई दिल्ली : 3 मई सन 1969 को पूर्व राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन का निधन हुआ था। हैदराबाद में 18 फरवरी 1857 में जन्में ज़ाकिर हुसैन जब 8 साल के थे तभी उनके सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठा गया। जब ज़ाकिर अलीगढ़ में पढ़ रहे थे तब वे आज़ादी के आंदोलन में कूद पड़े।
जहां उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और महात्मा गांधी की टोली में शामिल हो गए। महज 29 साल की उम्र में उन्हें जामिया मिलिया इस्लामिया का वाईस चांसलर बना दिया गया।
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लेकिन गांधी जी ने उन्हें देश की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का ज़िम्मा सौंपा। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटीके कुलपति के तौर पर उन्होंने शानदार काम किया।
वहीं 1992 से लेकर 1997 तक वो राजयसभा के सदस्य रहे। इसी दौरान डॉक्टर जाकिर हुसैन को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। राज्य सभा में कार्यकल खत्म होने के बाद वे 5 साल तक बिहार के राजयपाल रहे। इसके बाद 1962 में वे देख के दूसरे उप राष्ट्रपति चुने गए। जहां अगले ही साल वे भारत रत्न का सम्मान पा चुके थे। 13 मई 1967 को वे देश के तीसरे राष्ट्रपति चुने गए।
बता दें की जाकिर हुसैन के राष्ट्रपति बनने से पहले उस समय की विपक्षी पार्टी जन संग दल बार-बार कह रही थी कि जाकिर हुसैन एक मुस्लिम हैं और देश की जनता एक मुस्लिम को अपना राष्ट्रपति स्वीकार नहीं करेगी। इस बात पर गांधीवादी और समजवादी जयप्रकाश नारायण सामने आए और उन्होंने कुछ ऐसा बोला जो अगले दिन अख़बारों की हेडलाइन बन गया।
वहीं विपक्षी दलों को संकीर्ण मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए। अगर जाकिर साहब राष्ट्रपति नहीं चुने गए तो यह देश की कौमी एकता के लिए ठीक नहीं होगा। देश टुकड़ों में बंट जाएगा।
दरअसल 6 मई 1967 को एआईआर पर राष्ट्रपति के नतीजे आए और डॉक्टर जाकिर हुसैन जीत गए। जाकिर हुसैन को दिल्ली के लोग बेहद पसंद करते थे।
जहां उन्हें राष्ट्रपति के चुनाव के नतीजों का बेसब्री से इंतज़ार था। लोग राषपति भवन से सामने जमा थे। जब उन्हें नतीजा पता चला तो लुटियंस दिल्ली के आसमान में खुशियों का शोर सुनने को मिला। लेकिन जमा मसजिद से भी डॉक्टर जाकिर हुसैन की जीत का ऐलान किया गया। मुस्लिम खुश थे कि उनके बीच का कोई देश के सबसे ऊंचे पद पर पहुंचा है।