श्रीलंका में अब पाकिस्तानी शरणार्थियों पर हो रहा है हमला, भागने को हुए मजबूर

जिसकी वजह से बुधवार को हजारों शरणार्थी सामुदायिक नेताओं द्वारा आयोजित बसों के जरिए नेगोंबो से भागने को मजबूर हो गए। शरण चाहने वाले लगभग 800 पुरुष, महिला और बच्चे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) द्वारा मुहैया करवाए गए किराए के घर में रहते हैं।

श्रीलंका

उन्हें उनके सिंहलीस, क्रिश्चियन और मुस्लिम मकान मालिकों ने अस्थायी घरों से बाहर निकाल दिया क्योंकि उन्हें डर है कि इन लोगों का आतंकियों के साथ कोई लिंक हो सकता है।

श्रीलंका के अधिकारियों का कहना है कि आत्मघाती हमलों में 359 नहीं बल्कि 253 लोगों की जान गई है। उनका कहना है कि ऑटोप्सी पूरी हो चुकी है।

दोबारा शव परीक्षण और डीएनए रिपोर्ट का मिलान करने से पता चला कि कुछ शवों को दो बार गिना गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘बहुत से पीड़ितों के शव काफी ज्यादा क्षतिग्रस्त हो गए थे। कुछ शवों को दो बार गिना गया था।’

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अपने देश में सुन्नी बहुल लोगों के उत्पीड़न का सामना करने वाले ये शरणार्थी अहमदिया संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं और वह पांच साल पहले पाकिस्तान से भागकर श्रीलंका आ गए थे।

श्रीलंका पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को परिवहन की सुविधा मुहैया करवाता है और उनका तब तक ख्याल रखता है जब तक कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड या कोई और देश उन्हें शरण प्रदान नहीं कर देता।

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