जानिए चुनाव जीतने के लिए ये नेता एक रुपया में करा रहें हैं ये काम

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव जीतने के लिए नेताओं ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। चुनाव प्रचार तो चरम पर है ही, लेकिन इसके साथ-साथ नेताजी तंत्र-मंत्र का भी सहारा ले रहे हैं। जानकारों का ऐसा मानना है कि बगलामुखी देवी के जप राजनीति, नौकरशाही और न्याय व्यवस्था में सफलता के लिए बहुत कारगर सिद्ध होते हैं, इसलिए लोकसभा चुनाव में ज्यादातर प्रत्याशी इस देवी के जप करा रहे हैं।

 

चुनाव

 

 

 

 

बता दें की प्रतापगढ़ से भाजपा प्रत्याशी संगम लाल गुप्ता ने तो अपने घर में बगलामुखी देवी का एक छोटा सा मंदिर ही बनवा लिया है। बाकी नेता भी अपने-अपने तरीके से बगलामुखी देवी की आराधना में लगे हैं।
जप का खर्च औसतन एक रुपया प्रति मंत्र आ जाता है। हस्तरेखा विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी का कहना है कि बहुत से लोग इन बातों को अंधविश्वास बताते हैं। हालांकि वेदों में इसका जिक्र है, लेकिन वह अपने अविकसित रूप में है।

कुछ बातें काल्पनिक हैं, मगर पूजा, जप और तप इनका वैज्ञानिक आधार है। जैसे हनुमान का जप करने वाले व्यक्ति का निश्चित तौर पर मनोबल बढ़ता है। चुनाव में हार-जीत जो भी हो, इससे प्रत्याशी का डर निकल जाता है। राजनीति में शत्रु को मानसिक तौर पर परास्त करने के लिए बगलामुखी देवी का जप होता है।

चुनावी समय में अधिकांश नेता तीन दिन, सात दिन, 21 दिन या एक माह की पूजा कराते हैं। इसमें कम से कम सवा लाख मंत्रों का जाप होता है। खर्च की बात करें तो वह 11 सौ रुपये लेकर दो लाख रुपये तक पहुंच जाता है।

महापंडित चंद्रमणी मिश्रा बताते हैं कि राजनीति में आने वाले लोग या जो पहले से ही राजनीति में स्थापित हैं, वे बगलामुखी देवी की महिमा को भली-भांति जानते हैं। कई नेता ऐसे भी हैं, जिन्होंने पांच लाख और 11 लाख मंत्रों का जाप कराया है। अगर कोई एक सप्ताह में पांच लाख मंत्रों का जाप कराना चाहता है तो उसके लिए 20-25 पंडित बैठाने पड़ते हैं।

किसी को अगर और जल्दी है तो जप करने वाले पंडितों की संख्या बढ़ा दी जाती है। एक रुपया प्रति मंत्र का खर्च आता है। आजकल चुनाव प्रचार जोरों पर है, इसलिए नेता खुद पूजा में न बैठकर पंडितों को ही सारी जिम्मेदारी दे देते हैं।

पूजा की शुरुआत में संकल्प के दौरान और समापन के वक्त हवन में पूर्ण आहुति देने के लिए नेताजी को बुलाया जाता है। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, यूपी, बिहार, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और दूसरे प्रदेशों में भी नेताओं द्वारा बगलामुखी देवी के जप कराए जा रहे हैं।

डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी मां बगलामुखी देवी की आराधना करती थीं। वे मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर में जाती थीं। उनके अलावा दूसरे कई बड़े नेता भी उस मंदिर में जाते रहे हैं।

माना जाता है कि मां पीतांबरा के मंदिर से कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं जाती। इस बार भी वहां राजनेताओं का तांता लगा हुआ है। जिसके पास जैसा समय होता है, नेता मंदिर में पहुंच जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मां बगुलामुखी ही पीतांबरा देवी हैं, इसलिए उन्हें पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं।

मां को प्रसन्न करना इतना आसान भी नहीं है। भक्तगणों को इसके लिए विशेष अनुष्ठान करना पड़ता है। इस दौरान भक्त को पीले कपड़े पहनने होते हैं और मां के चरणों में भी पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है। इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जनपद के कोटला कस्बे में भी बगलामुखी मंदिर है। इसे भी प्रसिद्ध शक्तिपीठ माना गया है।

 

LIVE TV