
नई दिल्ली। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के 16 सदस्यों पर अपनी दाढ़ी रंगने का आरोप लगने के बाद तीन सदस्य लैब और डोप टेस्ट कराने को तैयार हो गए हैं। डीएसजीपीसी का मेंबर बनने के लिए जरूरी योग्यता अमृतधारी सिख होना है।
अमृतधारी सिख न तो अपनी दाढ़ी रंग सकता और न ही शराब या दूसरे किसी नशे का सेवन कर सकता है। दिल्ली कमेटी के 20 सदस्यों के खिलाफ दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन में सिख रहत मर्यादा से भगोड़े होने का मामला पहुंचा है।
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बीते दिनों गुरुद्वारा कमेटी के 16 मेंबर्स पर दाढ़ी रंगने, 3 सदस्यों के नामधारी गुरु को अपना गुरु मानने और 1 सदस्य के गुरुद्वारा साहिब में विश्वकर्मा दिवस मनाने की शिकायत जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब, निदेशक दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव व दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पास की गई थी।
इस पर आयोग ने कार्यवाही करते हुए इन 20 कमेटी मेंबर्स को नोटिस जारी करके 15 मार्च तक जवाब देने को कहा था। इस पर दाढ़ी रंगने वाले मामले में 3 कमेटी सदस्यों हरजीत सिंह जीके, विक्रम सिंह रोहिणी व ओंकार सिंह राजा ने आयोग को अपना जवाब भेजा है।
जवाब मे उक्त कमेटी सदस्यों ने दाढ़ी रंगने के आरोपों को नकारते हुए अपना लैब व डोप टेस्ट करवाने की पेशकश की है। इसके बाद आयोग अब किसी बड़े सरकारी हस्पताल मे दाढ़ी रंगने को लेकर लैब टेस्ट व नशे की जांच के लिए डोप टेस्ट करवा सकता है।
3 मेंबरों द्वारा टेस्ट की मंजूरी देने के बाद नई बहस छिड़ गई है। अगर आयोग इन तीन मेंबरों का टेस्ट कराता है तो सिख इतिहास में पहली बार होगा जब किसी गुरुद्वारा कमेटी के मेंबर को अपनी जीवनशैली को सिख व्यवहार के अनुसार सिद्ध करने के लिए मेडिकल टेस्ट का सहारा लेना पड़ रहा है।
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इन टेस्ट के दौरान किसी बड़े सरकारी अस्पताल में कमीशन के द्वारा इन मेंबर्स के दाढ़ी के बालों में मौजूद केमिकल व रंग की जांच की जाएगी। साथ ही डोप टेस्ट में नशे आदि की सेवन की पुष्टि की जाएगी। जवाब न देने वालों में 17 सदस्यों में दिल्ली कमेटी के 3 मौजूदा पदाधिकारी और बाकी मेंबर शामिल हैं।