ब्लैडर कैंसर का आधुनिक इलाज…
मूत्राशय का कैंसर यानि ब्लैडर में कैंसर होने के बारे में कम ही लोग जानते हैं। यह एक गम्भीर रोग होता है। इसके रोगी को शारीरिक व मानसिक कष्ट सहन करना होता है | प्रति एक लाख की आबादी में भारतवर्ष में तीन से पांच पुरुषों को तथा एक से दो महिलाओं को ब्लैडर कैंसर होता है।
ब्लैडर कैंसर के शिकार 50 प्रतिशत लोग धूम्रपान करने के कारण इस इस रोग की गिरफ्त में आ जाते हैं, लेकिन धूम्रपान न करने वालों के लिए भी जोखिम बराबर है |
यह कैंसर महिलाओं से अधिक पुरुषों में होता है क्योंकि पुरुष कैंसर पैदा करने वाले रसायनों के अधिक संपर्क में रहते हैं और आंतरिक रूप से भी वे अधिक संवेदनशील होते हैं |
ब्लैडर कैंसर का इलाज :
- ब्लैडर कैंसर के उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कितना फैल चुका है और क्या व्यक्ति को किसी अन्य
- तरह की परेशानी भी है. इसके कुछ इलाज इस प्रकार हैं- सर्जरी, सिस्टेक्टोमी, इंट्रोवेसिकल थेरैपी, रेडिएशन थेरैपी |
- कैंसर के इलाज का समय से इलाज कराना चाहिए।
- सतह तक सीमित मूत्राशय के कैंसर के उपचार के परिणाम उन कैंसरों से बेहतर होते हैं जो कि ब्लैडर की मांसपेशियों तक पहुंच गए होते हैं।
- ट्रांस यूरेथ्रल रिसेक्शन (टी. यू. आर.) शल्य चिकित्सा में दूरबीन के माध्यम से सतह तक सीमित कैंसर को निकालकर ऊतकीय परीक्षण करके पैथोलोजिस्ट द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि कहीं कैंसर मूत्राशय की मांसपेशियों में पहुंच रहा है या नहीं।
- ब्लैडर में कई स्थानों से बायोप्सी करनी चाहिए। इससे कैंसर के फैलाव का पता चल जाता है।
- सतह पर स्थित मूत्राशय कैंसर को टी.यू.आर. द्वारा निकाल देने पर भी दो साल के अंदर यह फिर से हो सकता है।
- यदि बहुकेन्द्रित कैंसर जांच में आता है तो मूत्राशय में कैंसर की कुछ दवाएं डाली जाती हैं। ये औषधियां दो घंटे तक पेशाब की थैली में पड़ी रहने के बाद रोगी को पेशाब करा देते हैं। दवा पड़ी रहने के दौरान रोगी को करवटें बदलते रहने के लिए कहा जाता हैं ताकि दवा ब्लैडर की हर सतह के सम्पर्क में सही रूप से आ सके।
- मूत्राशय के बहुकेन्द्रित कैंसर में इम्यूनोथेरेपी के रूप में बी. सी. जी. तथा इंटरफेरान का इस्तेमाल सफलतापूर्वक किया जाता है।
- फोटोडायनामिक थेरेपी का इस्तेमाल भी सतह पर स्थित कैंसर को खत्म करने के लिए उपयोगी पाया गया है। इसमें हीमोटापोर पाइरिन नामक रसायन 2-5 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम की मात्रा में रक्त शिरा द्वारा प्रवेश कराते हैं। यह रसायन ब्लैडर के कैंसरग्रस्त हिस्से में जाकर एकत्र हो जाता है। उसके बाद ऑयन लेसर द्वारा ऐसे कैंसर ग्रस्त हिस्से को पहचानकर निकाल दिया जाता है।
- विकिरण चिकित्सा का प्रयोग ग्रेड तीन की सतह पर स्थित कैंसर में उपयोगी पाया गया है।
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मांस पेशियों तक फैलने वाला कैंसर
- इस प्रकार का कैंसर खराब प्रकार का कैंसर माना जाता है। इसका जल्दी ही उपचार होना आवश्यक है। कीमोथेरेपी तथा विकिरण चिकित्सा के समन्वित प्रयोग से ऐसे कैंसर प्रारम्भिक अवस्था में लगभग पचास प्रतिशत रोगियों में ठीक किए जा सकते हैं। दूसरी स्टेज के रोगियों में भी 20 प्रतिशत रोगी ठीक किए जा सकते हैं। कीमोथेरेपी में दवाओं के लगभग 6 कोर्स देने पड़ते हैं। विकिरण चिकित्सा भी 6-7 सप्ताह तक करनी पड़ती है।
- कीमोथेरेपी व विकिरण चिकित्सा के बाद भी यदि कैंसर ठीक न हो या दोबारा हो जाए तो शल्य क्रिया द्वारा ब्लैडर निकाल दिया जाता है।
- ब्लैडर के आसपास के अंगों तक यदि मूत्राशय का कैंसर फैल जाए तो यह लाइजाज होता है। मांसपेशियां में पहुंचने वाले ब्लैडर कैंसर के लगभग 50 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु दूसरे अंगों में फैले कैंसर के कारण होती है। ऐसे रोगी लगभग पांच वर्ष ही जीवित रह पाते हैं।
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ब्लैडर कैंसर के मरीज के मनोवैज्ञानिक पहलू
- ब्लैडर कैंसर की बीमारी में इलाज के दौरान ब्लैडर निकाल देने, पेशाब निकलने की स्वाभाविकता प्रक्रिया खत्म होने के मनौवैज्ञानिक प्रभाव रोगियों पर अधिक होते हैं। इस कारण रोगी अपना जीवन हेय समझता है।
- कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, टी. यू. आर, लेज़र जैसी शल्य चिकित्सा से रोगियों को काफी राहत मिल सकती है।
- ब्लैडर का कैंसर के कारण होने वाले मानसिक दुष्ट प्रभाव, जैसे चिंता, तनाव, अवसाद, व्यक्तित्व-विकार तथा अन्य कैंसरों की तरह “कैंसर मनोवैज्ञानिक के सहयोग से इलाज दिया जाता हैं। दृढ़ विश्वास, ठीक होने की मजबूत इच्छाशक्ति व सकारात्मक सोच ऐसी परेशानियों को काबू में करना सिखाती है।