देश भर के संतों के साथ विदेशी मेहमानों को भी आकर्षित कर रही कुम्भ नगरी

रिपोर्ट- सैय्यद रजा

प्रयागराज। 15 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होने जा रहे कुंभ मेले से पहले दुनिया भर के विदेशी मूल के संत यहां पहुंचने लगे हैं। विदेशी संतों के साथ यहां तमाम देशों के श्रद्धालुओं का आना भी जारी है।

खास बात यह कि इस बार यह संत ना सिर्फ कुंभ मेले में वास के लिए यहां पहुंचे हैं, बल्कि इन सभी ने शिष्यों के साथ अपने अखाड़ों की पेशवाई में हिस्सा भी लिया है।

यूनेस्को की सूची में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में शामिल प्रयागराज का कुंभ इस बार देश ही नहीं विदेशी मूल के संतों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है।

आध्यात्म की पूंजी संजोने और शांति की खोज में सनातन परंपरा को अपना चुके विदेशी मूल के संत नए साल के पहले दिन से ही मेला क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं। कुंभ में आने वाले यह संत अलग-अलग अखाड़ों से जुड़े हैं और अपने संबंधित अखाड़े की पेशवाई का हिस्सा भी बन रहे हैं। वहीं पेशवाई में शामिल ना हो पाने वाले विदेशी संतों ने शाही स्नान में शामिल होने की बात कही है।

खास बात यह कि इस बार वैश्विक स्तर पर जारी कुंभ की ब्रांडिंग के बीच विदेशी मूल के संत आम लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। यूरोप मूल के डेविड जो कि अब संत बन चुके हैं, यहां महानिर्वाणी अखाड़े का हिस्सा हैं।

महा मंडलेश्वर महेश्वरानंद के शिष्य डेविड को आध्यात्म में मिलने वाली शांति ने आकर्षित किया और वह सनातन परंपरा के वाहक बन गए। पिछले करीब 20 सालों से वह भारत में ही रह रहे हैं और भारतीय संस्कृति के अनुरूप परिधान धारण करते हैं।

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विदेश से आने वालों में युवाओं की संख्या भी कम नहीं है छोटी-छोटी टोलियों में विभिन्न देशों से युवा कुंभ के महत्व और भारतीय संस्कृति को समझने के लिए संगम नगरी आए हुए हैं । यूरोप ,जर्मनी ,इंग्लैंड, यूएसए से टोलियों में युवा मेला पहुंचने लगे हैं । खास बात यह है कि विदेशों से आ रहे युवा भी कुंभ के रंग में रंगते नजर आ रहे हैं।

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