संसद में बैठी ये 11 महिलाएं बनी महिला आरक्षण की दुश्मन, एक का नाम चौंकाने वाला…

देश के अलग-अलग राजनीतिक दलों की 11 महिला सांसदों ने राज्यसभा के सभापति को नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस देकर महिला आरक्षण बिल के मुद्दे पर चर्चा की मांग की है. बिल पर चर्चा के लिए कांग्रेस की कुमारी सैलजा सहित पांच महिला सांसदों के अलावा एनसीपी की वंदना चौहान, टीएमसी की शांता छेत्री, आरजेडी की मीसा भारती, डीएमके की कनिमोझी और सीपीएम की झरना दास ने राज्यसभा के सभापति को नोटिस दिया है.

दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करने वाली महिला नेताओं में मीसा भारती भी शामिल हैं, जो आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं. लालू उन नेताओं में शामिल हैं, जो महिला आरक्षण बिल के खिलाफ लंबे समय तक आवाज बुलंद करते रहे हैं. कई दशकों से संसद में लटके महिला आरक्षण बिल की राह में वे बड़ा रोड़ा माने जाते रहे हैं.

बता दें कि राज्यसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल 2010 में पास करा लिया गया था, लेकिन लोकसभा में सपा, बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियों के भारी विरोध की वजह से ये बिल पास नहीं हो सका है.

गौरतलब है महिला आरक्षण बिल दो दशकों से ज्यादा वक्त से अटका हुआ है. ये बिल 1996 में पहली बार पेश हुआ था और 2010 में राज्यसभा से पास हो गया था लेकिन लोकसभा से पास नहीं हुआ था. सपा, बसपा और आरजेडी का विरोध और कोटे के भीतर कोटे की मांग के चलते ये बिल आज तक पास नहीं हो सका है.

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संसद में महिला आरक्षण बिल 1996 में देवेगौड़ा सरकार ने पहली बार पेश किया था और इसका कई पुरुष सांसदों ने भारी विरोध किया था. इसके बाद 2010 में संसद में दोबारा पेश होने के बाद राज्यसभा में बिल पास हुआ, लेकिन लोकसभा में आरक्षण बिल पास नहीं हो पाया था.

दरअसल सपा, बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियां दलित, ओबीसी महिलाओं के लिए कोटे के अंदर कोटा की मांग है. उनका तर्क है कि सवर्ण और दलित, ओबीसी महिलाओं की सामाजिक हालत में फर्क होता है.

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