जानें कैसे पैदा हुआ पापी कंस, कौन था उसका असली पिता

पौराणिक कथाओं के अनुसार कंस मथुरा के राजा उग्रसेन और रानी पद्मावती का पुत्र था। मथुरा नरेश उग्रसेन स्वभाव से अत्यंत धार्मिक थे। अनेक साधु-संत उनके आश्रय में शांति से अध्ययन, मनन, चिंतन किया करते थे।

सभी धार्मिक कार्यों यज्ञ, हवन आदि की व्यवस्था करने, साधुजनों के हित के लिए कार्य करने और उन पर अत्याचार करने वाले को दंडित करने के लिए राजा उग्रसेन हमेशा उपलब्ध रहते थे। उनके राज्य का वातावरण हर तरह से धर्म के अनुकूल था। राजा उग्रसेन का विवाह विदर्भ के राजा सत्यकेतु की पुत्री पद्मावती के साथ हुआ था। दोनों में बहुत प्रेम था और वे धर्मानुकूल आचरण करते हुए सुखी गृहस्थ जीवन व्यतीत कर रहे थे।

कहा जाता है कि रानी पद्मावती अत्यंत सुंदर, चंचल और मनमोहक थीं। एक बार वे अपने मायके गई हुई थीं। मायके में वह अपनी सखियों के साथ उद्यान में खेल रही थीं, तभी एक गंधर्व की दृष्टि उन पर पड़ी। पुराणों में इस गंधर्व का नाम द्रमिला या गोदिला बताया गया है। रानी पद्मावती को देखते ही गंधर्व उन पर आसक्त हो कर उन्हें पाने के लिए संकल्पित हो गया। पौराणिक कथाओं में गंधर्वों को कुछ अनुपम शक्तियों से युक्त बताया गया है। अपने मायावी प्रभाव से गंधर्व ने रानी पद्मावती को सम्मोहित कर लिया। इस तरह संसार से गोपनीय रहते हुए द्रमिला और रानी पद्मावती का संबंध स्थापित हुआ और इसी के फलस्वरूप रानी पद्मावती गर्भवती हुईं।
समय आने पर उनके पुत्र कंस का जन्म हुआ, जो संसार की दृष्टि में तो राजा उग्रसेन का पुत्र था, पर असल में उसका पिता द्रमिला था। द्रमिला हर तरह से एक दुष्ट, पापी और निकृष्ठ गंधर्व था। अपने पिता के दुर्गुणों के अनुकूल ही अति धार्मिक वातावरण में रहने के बावजूद कंस हर तरह की दुष्ट वृत्तियों का स्वामी बना।
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