आज का इतिहास: न्यायाधीश जो अपने ऐतिहासिक फैसलों के लिए किये जायेंगे याद ‘दीपक मिश्रा’

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा (जन्म 3 अक्टूबर 1953) भारत के एक न्यायाधीश तथा वर्तमान रूप से भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। वे 27 अगस्त, 2017 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर के सेवानिवृत्ति के बाद भारत के 45वें मुख्य न्यायाधीश बने। उन्होने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में 28 अगस्त 2017 को शपथ ग्रहण की। उनका कार्यकाल 2 अक्टूबर, 2018 को समाप्त हो जाएगा। पूर्व में वे पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश रह चुके हैं।

आज का इतिहास: न्यायाधीश जो अपने ऐतिहासिक फैसलों के लिए किये जायेंगे याद 'दीपक मिश्रा'

3 अक्टूबर 1953 को जन्मे श्री मिश्र ने वर्ष 1977 में उड़ीसा उच्च न्यायालय में एक अधिवक्ता के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया था और वर्ष 1996 में उड़ीसा उच्च न्यायालय में न्यायधीश बने थे। उनका स्थानांतरण मार्च 1997 में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया था और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के पद पर प्रोन्नति पाने के पूर्व वे वहीं पदस्थापित थे।

13 महीने के मुख्‍य न्‍यायाधीश के अपने कार्यकाल में जस्टिस दीपक मिश्रा न केवल अपने एेतिहासिक फैसलों के लिए याद किए जाएंगे, बल्कि इस साल इन बड़े विवादों के लिए भी लोग उनका स्‍मरण करेंगे। आइए जानते हैं, उनके ऐतिहासिक फैसलों के बारे में, जो न्‍यायपालिका के लिए माइल स्‍टोन बन गए, जिसके चलते उन्‍हें हमेशा याद किया जाएगा। इसके साथ ही उनसे जुड़े कुछ विवादों की भी देखेंगे।

देश के 45वें मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के जीवन का सबसे बड़ा विवाद खुद न्‍यायपालिका के अंदर से ही उपजा था। 12 जनवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने मीडिया से बात करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा के कामकाज पर सवाल उठाए थे। देश में पहली बार ऐसा हुआ था कि मुख्‍य न्‍यायाधीश के खिलाफ शीर्ष अदालत के वरिष्‍ठ जजों ने मोर्चा खोला था। मामला इस कदर बढ़ गया कि जजों ने अपनी बात रखने के लिए बाकायदा एक संवाददाता सम्‍मेलन बुलाया।

इस पीसी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई शामिल थे। हालांकि, बाद में मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा ने नाराज जजों से बातचीत के बाद इस समस्‍या पर विराम लगा। इसके बाद बार काउंसिल ने एेलान किया की सुप्रीम कोर्ट का विवाद सुलझा लिया गया।

आज का इतिहास 

3 अक्टूबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ

1735 – फ्रांस और छठे कैरल सम्राट ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।

1831- मैसूर (अब मैसुरु) पर ब्रिटेन ने कब्जा किया।

1880 – पहले मराठी संगीत नाटक ‘संगीत शाकुन्ताल’ का पुणे में मंचन किया गया।

1915 – नेवादा के प्लेजेंट वैली में 7.8 रिक्टर पैमाने का भूकंप आया।

1932 – इराक यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्र हुआ।

1977 – पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

1978 – कलकत्ता (अब कोलकाता) में पहला और दुनिया के दूसरे टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ।

1984 – भारत की सबसे लंबी दूरी की ट्रेन हिमसागर एक्सप्रेस कन्याकुमारी से जम्मू तवी के लिए रवाना की गयी।

1992 – गीत सेठी ने विश्व पेशेवर बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप जीता।

1994 – भारत ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए औपचारिक रूप से अपना दावा पेश किया।

1995 – चीन एवं इंग्लैंड के बीच हांगकांग के सुगम हस्तांतरण पर सहमति।

1999 – आण्विक पदार्थों के आवागमन और आण्विक दुर्घटनाओं को रोकने हेतु सं.रा. अमेरिका तथा रूस ने संयुक्त संकट केन्द्र की स्थापना की।

2002 – नोबेल शान्ति पुरस्कार के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को संयुक्त रूप से देनी की सिफ़ारिश की गई।

2003 – पाकिस्तान ने हल्फ-III मिसाइल का परीक्षण किया।

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2004 – लश्कर-ए-तैयबा का राजनीतिक संगठन दो हिस्सों में बंटा।

2006 – संयुक्त राष्ट्र संघ के नये महासचिव दक्षिण कोरिया के बान की मून होंगे।

2008- टाटा मोटर्स के चेयरमैन रतन टाटा ने सिंगूर से नैनो कार परियोजना अन्यत्र ले जाने की घोषणा की।

2013 – इतालवी द्वीप लात्पेदुसा के पास एक नाव के डूब जाने से करीब 134 लोगों की मौत हो गई।

आज जन्मे व्यक्ति

1953 – दीपक मिश्रा – भारत के 45वें मुख्य न्यायाधीश हैं।

1949 – जे. पी. दत्ता- भारतीय फ़िल्म निर्देशक

1928 – अमृतलाल बेगड़ – प्रसिद्ध साहित्यकार, चित्रकार और नर्मदा प्रेमी थे।

1890 – लक्ष्मी नारायण साहू- उड़ीसा के समाजसेवी और सार्वजनिक कार्यकर्ता

आज के महत्वपूर्ण उत्सव और अवसर 

  • वन्यजीव सप्ताह (2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर)
  • जर्मन एकता दिवस
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