प्रसारण मंत्रालय ने तमाम मीडिया संस्थानों के कसे पेंच, कहा ‘दलित’ शब्द का न करें प्रयोग
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने तमाम मीडिया संस्थान को कहा है कि वह दलित शब्द का इस्तेमाल ना करें। मंत्रालय की ओर से तमाम मीडिया संस्थान को कहा गया है कि वह दलित शब्द की जगह संवैधानिक शब्द अनुसूचित जाति का इस्तेमाल करें। लेकिन मंत्रालय के इस निर्देश का तमाम दलित संगठनों ने आलोचना की है। लोगों का कहना है कि इस शब्द का राजनीतिक संदर्भ है और इस शब्द की वजह से हमे अलग पहचान मिलती है।
इससे पहले भी मार्च माह में केंद्रीय सोशल जस्टिस मंत्रालय की ओर से इसी तरह का निर्देश दिया गया है। कोर्ट के आदेश का दिया हवाला मार्च माह में सोशल जस्टिस मंत्रालय की ओर से तमाम राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया था कि वह आधिकारिक संवाद के दौरान शेड्यूल कास्ट यानि अनुसूचित जाति का इस्तेमाल करें, क्योंकि दलित शब्द का संविधान में कोई जिक्र नहीं है।
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7 अगस्त को अपने आदेश में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ने जून में बॉबे हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र किया है, जिसमे ककहा गया है कि इस मामले को अगले छह महीने में उचित दिशानिर्देश दिए जाए। सुनवाई में याचिकाकर्ता ने कहा गया था कि मीडिया को भी दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि मीडिया को यह सुझाव दिया जाता है कि वह दलित शब्द के इस्तेमाल से बचे, इस समुदाय से जुड़े लोगों के लिए अनुसूचित जाति का इस्तेमाल करे।
कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि दलित शब्द की जगह शेड्यूल कास्ट शब्द का इस्तेमाल करें, जिसका जिक्र संविधान में है और इसका अन्य भाषाओं में अलग-अलग राज्यों में होने वाले अनुवाद को ही इस्तेमाल किया जाए। साथ ही आईबी के आदेश में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, ग्वालियर बेंच के फैसले का भी जिक्र किया गया है।