
हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर का बहुत महत्व होता है। सुहाग की सभी निशानियों में सिंदूर एक अलग ही महत्व है। सिंदूर को सुहाग की निशानी समझा जाता है। शादी के बाद हर महिला सिंदूर जरूर लगाती है। विवाह के दौरान जबतक पुरुष महिला को सिंदूर न लगा दे शादी पूरी नहीं होती है।
सभी विवाहित महिलाओं के लिए देवी कामाख्या के सिंदूर का बड़ा ही महत्व है। इसे बोलचाल की भाषा में कमिया सिंदूर के नाम से भी जाना जाता है। यह सिंदूर कामरुप कामाख्या क्षेत्र में ही पाया जाता है। इस सिंदूर को पाने के लिए विशेष तरह के परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ती है। इस सिंदूर को लगाने से महिलाओं की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है।
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सदियों से चली आ रही मान्यता और अटूट विश्वास के अनुसार जो कोई कामाख्या सिंदूर का प्रयोग करता है उस पर देवी मां की कृपा बनी रहती है। यह सिंदूर वशीकरण, जादू-टोना, गृह-कलेश, कारोबार में बाधा, विवाह या प्रेम की समस्या या दूसरी तरह की भूत-प्रेत बाधा की समस्याओं को दूर करता है। इसका इस्तेमाल सामान्य तौर पर मांगलिक आयोजनों में किया जाता है।
इस सिंदूर को धारण करने से पहले मंत्र ‘कामाख्याये वरदे देवी नीलपावर्ता वासिनी’ का जाप करना चाहिए। इस मंत्र ‘त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते!!’ का उच्चारण 108 बार करने से ही आपके दिल की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसका जाप चुटकी में सिंदूर लेकर 11 या 7 बार शुक्रवार को शुरू कर सात दिनों तक करना चाहिए। मंत्र के उच्चारण के समय हथेली पर गंगाजल, केसर, चंदन को मिलाकर माथे पर लगाना चाहिए। यह जाप महिला औप पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। इस सिंदूर को हमेशा चांदी की डिब्बी में ही रखना चाहिए।