
आज के समय के हिसाब से ज्यादातर घरों और अपार्टमेंटों में जगह की कमी को देखते हुए भवन का निर्माण कराते समय बेसमेंट भी बनवाया जाने लगा है। बेसमेंट किस दिशा में और किस प्रकार बनवाना शुभ होगा ,इसके लिए वास्तु शास्त्र में कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं। जो आज हम आपको बतायेगें।
सही आकार व रंग से सकारात्मक ऊर्जा
दरअसल बेसमेंट में सूर्य का प्रकाश पहुंचना संभव न हो, तो कृत्रिम रूप से दर्पण के माध्यम से सूर्य की रोशनी वहां पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए। यदि बेसमेंट का चौथाई भाग धरती को स्पर्श करे, तो सुबह सात बजे से शाम के 5 बजे तक सूर्य की रोशनी बेसमेंट के नीचे जा सकती है। ऐसा न करने पर बेसमेंट के उपयोग से अपेक्षित लाभ नहीं मिल सकेगा और वहां जाने पर मानसिक तनाव भी होगा।
उत्तर-पूर्व दिशा है बेहतर
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बेसमेंट बनाने के लिए भू-खंड के उत्तर, पूर्व अथवा उत्तर-पूर्व कोण का उपयोग करना चाहिए। इससे धन की कमी, रोग, व्यापार में नुकसान जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। उत्तर-पश्चिम दिशा में बेसमेंट बनवाने से आलस्य, अस्थिरता और चोरी होने का भय बना रहता है।
सही उपयोग से अधिक लाभ
बेसमेंट का उपयोग कभी भी रहने के उद्देश्य से नहीं किया जाना चाहिए, अन्यथा स्वास्थ्य खराब होने के अलावा बनते हुए कामों में रुकावट भी आ सकती है। व्यवसाय, धर्म, अध्यात्म, पूजा-पाठ, गोदाम और सामान के भंडारण के लिए ही बेसमेंट का उपयोग किया जाना चाहिए। बेसमेंट में भारी सामान और कबाड़ दक्षिण एवं पश्चिम में ही रखें। इससे वहां सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।जहां तक हो सके, दिन के समय ही बेसमेंट का प्रयोग करना चाहिए। इस लिहाज से कमर्शियल इस्तेमाल के लिए बेसमेंट उपयोगी साबित हो सकता है।
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