आखिर शादी के समय क्यों बांधी जाती है गांठ? इसमें छिपे हैं मूलमंत्र
शादी के समय होने वाली सभी रस्में सिर्फ एक रस्म नहीं हैं। इन सभी रस्मों में धार्मिक अर्थ होने के साथ-साथ सांइस से जुड़ा अर्थ भी छुपा है। शादी कहीं भी किसी भी समाज में हो, बिना रस्मों रीति रिवाज के अधूरी है। न आज तक कोई शादी बिना रीति रिवाज के हुई है और न आगे कभी होगी।
ऐसे ही फेरों के समय होने वाला गठबंधन केवल एक कपड़े की गांठ नहीं है। इस कपड़े की गांठ में भी कई रहस्य छुपे हुए हैं। शादी के समय में गठबंधन एक बहुत ही महत्वपूर्ण रस्म मानी जाती है। आज आपको वर और वधु के बीच इस कपड़े की गांठ का तात्पर्य बताते हैं।
गठबंधन एक परम्परा है जो सदियों से चली आ रही है। बुजुर्गों का मानना है कि गठबंधन करते समय उसमे सिक्का, हल्दी, पुष्प, दूर्वा, चावल, आदि को मिलाकर गांठ में बांधा जाता है इसका मतलब ये होता है कि धन पर दोनों का अधिकार होगा, दोनों आपसी सहमति से धन खर्च करेंगे।
-फूल का अर्थ होता है कि दोनों एक-दूसरे को हमेशा खुश रखेंगे।
-हल्दी को गांठ में रखने से मतलब है कि दोनों एक दूसरे को बिमारी में ध्यान रखेंगे। एक दूसरे की सेवा करेंगे।
-दूर्वा मतलब दोनों का जीवन कभी मुरझाए ना।
-दोनों एक दूसरे के साथ पूरे परिवार को ध्यान रखें। घर में कभी भी धन की कमी न झेलनी पड़े इसके लिए गठबंधन गांठ में चावल भी बांध कर देते हैं।