लॉ कमीशन ने की BCCI को RTI के दायरे में लाने की सिफारिश

नई दिल्ली। लॉ कमीशन ने अन्य खेल संघ का हवाला देते हुए बीसीसीआई को आरटीआई के तहत लाने की शिफारिश की। इस संबंध में लॉ कमीशन ने विधि मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कमीशन का कहना है कि जब देश के अन्य सभी खेल संघ आरटीआई के तहत आते हैं तो फिर बीसीसीआई को इस दायरे से बाहर क्यों रखा गया है।

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लॉ कमीशन

रिपोर्ट के अनुसार लॉ कमीशन ने बीसीसीआई को संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत निजी के बजाय सार्वजनिक संस्था के रूप में वर्गीकृत करने की बात कही। इससे बीसीसीआई को भी आरटीआई के दायरे में लाया जा सकेगा।

खबरों के मुताबिक़ लॉ कमीशन ने मंत्रालय से कहा- बीसीसीआई सरकार की तरह ताकतों का इस्तेमाल करती है। इससे हिस्सेदारों के हित प्रभावित होते हैं, जिन्हें कि संविधान के पार्ट-3 के तहत दिया जाना निश्चित किया गया है।

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बीसीसीआई एक सार्वजनिक संस्था है। जब दूसरे सभी खेलों के नेशनल फेडरेशन आरटीआई के दायरे में रखे गए हैं तो फिर बीसीसीआई क्यों नहीं?

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीसीसीआई टैक्स में छूट के रूप में सरकार से बहुत ज्यादा वित्तीय लाभ हासिल करती है। ऐसे में उसे जवाबदेह भी होना चाहिए।

ऐसे में अगर सरकार कमीशन के सुझाव को मान लेती है और बीसीसीआई को सार्वजनिक संस्था या आरटीआई के दायरे में आने वाली संस्था मान लेती है तो फिर राज्य, जोन या नेशनल टीम में खिलाड़ियों के चयन को लेकर कोई भी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। हालांकि सरकार लॉ कमीशन के सिफारिश को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

वहीं पिछले साल केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भी यह स्पष्ट किया था कि बीसीसीआई एक नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन है। हालांकि तब उसने आरटीआई कानून के तहत इसे सार्वजनिक संस्था घोषित नहीं किया था।

इससे पहले जुलाई 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने लॉ कमीशन से कहा था कि वह यह बताए कि क्रिकेट बोर्ड को आरटीआई के तहत लाया जा सकता है कि नहीं?

लॉ कमीशन ने विधि मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बीसीसीआई को संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत निजी के बजाय सार्वजनिक संस्था के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।

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