
नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने इतिहास को बदलने वाले कदम की ओर आवाज उठाई। पासवान ने एक दलित होते हुए गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की बात रखी। उनका कहना है कि ऊंची जाति से संबंध रखने वाले लोग भी गरीब होते हैं। उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए कि समाज में उनके साथ भेद-भाव हो रहा है। वजह है कि उन्हें आरक्षित वर्गों जैसी सुवाधाएं नहीं प्राप्त होती हैं।
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खबरों के मुताबिक़ रामविलास पासवान ने बुधवार को कहा कि ऊंची जाति के गरीबों के लिए 15 फीसदी आरक्षण होना चाहिए।
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पासवान का कहना है कि ऊंची जातियों के लोग भी गरीब होते हैं। उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए की उनके साथ भेदभाव हो रहा है। क्योंकि उन्हें दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। इसलिए लोक जनशक्ति पार्टी ने ऊंची जाति के गरीब लोगों को 15 फीसदी आरक्षण देने का सुझाव दिया है।
इससे पहले रामविलास पासवान ने उच्च न्यायपालिका में आरक्षण और पदोन्नति में आरक्षण का भी समर्थन किया है। पासवान ने दावा किया था कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था बंद होने से दलितों में बेहद नाराजगी है। सरकार इस वर्ग में असंतोष नहीं फैलने देना चाहती।
वहीं बिहार के उद्योग मंत्री और जेडीयू नेता जय सिंह ने भी मंगलवार को कहा कि ऊंची जाति के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण दिया जाना जाहिए।
मंत्री ने कहा, “केंद्र सरकार को देश में ऊंची जातियों के गरीब लोगों के आकलन के लिए एक आयोग का गठन करना चाहिए। समिति की सिफारिशों के आधार पर उन्हें आरक्षण देने पर निर्णय लेना चाहिए।”
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