अब देर से आएगी तबाही, प्रलय की घड़ी की गई पीछे

वॉशिंगटन। इस साल प्रलय के आकलन की प्रतीकात्मक घड़ी यानी डूम्स डे क्लॉक को 2 मिनट आगे खिसका दिया गया है। यह कदम अमेरिका और उत्तरी कोरिया के बीच बढ़ते तनाव को देखकर न्यूक्लियर युद्ध की आशंका के मद्देनजर उठाया गया है। यह जानकारी बुलेटिन ऑफ अटॉमिक साइंटिंस्ट्स में दी गई है।

प्रलय के आकलन की प्रतीकात्मक घड़ीबुलेटिन ऑफ अटॉमिक साइंटिस्ट्स की प्रेजिडेंट और सीईओ रैचल ब्रानसोन ने बताया, ‘इस साल की चर्चा में न्यूक्लियर युद्ध का मामला काफी चर्चा में रहा है।’ उन्होंने बताया कि उत्तरी कोरिया द्वारा नए परीक्षण, चीन, पाकिस्तान और भारत में न्यूक्लियर हथियारों को लेकर बड़ी प्रतिस्पर्धा और अमेरिका के प्रेजिडेंट के ट्वीट्स और बयानों की अनिश्चितता से खतरा बढ़ा है।

किस ने बनाई प्रलय घड़ी

वर्ष 1945 में जब अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के 2 बड़े शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिराए और भारी विनाश किया था, तब दुनिया के वैज्ञानिकों को इस की चिंता हुई कि कहीं ऐसी घटनाएं पूरी धरती के विनाश का सबब न बन जाएं।

इसी विचार के तहत उन्हें एक आइडिया आया कि वे एक घड़ी बना कर धरती के समक्ष मौजूद विनाश की चुनौतियों को दर्ज करें और दुनिया को इस बारे में आगाह करें कि इंसानों के कौन से कार्य पृथ्वी के खात्मे का कारण बन सकते हैं।

इस उद्देश्य से 15 वैज्ञानिकों के एक दल ने जिस में मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग भी शामिल हैं, नौन टैक्निकल एकैडमिक जर्नल के रूप में एक संगठन, ‘द बुलेटिन औफ द अटोमिक साइंटिस्ट्स’ बनाया जो ऐसे खतरों का आकलन कर के समयसमय पर आगाह करता है कि मानवता इस ग्रह को खत्म करने के कितने नजदीक है।

इस से जुड़े वैज्ञानिक परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या के अलावा नरसंहार के दूसरे हथियारों के विकास, जलवायु परिवर्तन, नई तकनीक और बीमारियों आदि की वजह से वैश्विक सुरक्षा पर पड़ने वाले खतरों का अध्ययन करते हैं और उस के आधार पर बताते हैं कि प्रलय अब धरती से कितनी दूरी पर है।

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