दावोस : जर्मनी की चांसलर एंजेला ने मिलाए पीएम मोदी के सुर में सुर, बुलंद की संरक्षणवाद के खिलाफ आवाज

दावोस। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने बुधवार को दावोस सम्मेलन में साझा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अलगाव और संरक्षणवाद की नीतियों की आलोचना की। इससे पहले पीएम मोदी ने भी इसी मंच पर संरक्षणवाद की नीतियों की खिलाफ आवाज उठाई थी।

खबरों के मुताबिक, विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूई) की 48वीं वार्षिक बैठक के सत्र को संबोधित करते हुए मर्केल ने कहा, “जर्मनी बहुपक्षीय समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है।”

जर्मनी की चांसलर

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उन्होंने कहा, “एकपक्षीय कार्रवाई और संरक्षणवाद इसका जवाब नहीं है।”

मर्केल ने विशेष रूप से यूरोपीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए यूरोप में समस्याओं के समाधान के लिए ईयू में और करीबी सहयोग का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “ब्रेक्सिट ने हमें बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”

मर्केल ने दार्शनिक मुद्दों पर बहस करने के बजाए डिजिटलीकरण की दिशा में अधिक काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि बड़े डेटा से कैसे निपटा जाए इस पर फैसला लेने में ईयू में प्रक्रिया बहुत धीमी है, जिससे यूरोप पिछड़ गया है।

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में अमेरिकी कंपनियों की उपस्थिति की वजह से यूरोप पर अत्यधिक दबाव हैं। मर्केल ने कहा,”हमें डिजिटल एकल बाजार के सृजन के लिए आर्थिक नीतियों को नई दिशा देनी होगी।”

वहीं इससे पहले चीन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दावोस के भाषण में संरक्षणवाद के खिलाफ की गई टिप्पणी का स्वागत करते हुए बुधवार को कहा कि इस मसले पर वह भारत के साथ मिलकर संरक्षणवाद का विरोध करेगा।

बीजिंग ने कहा कि वैश्वीकरण को प्रोत्साहन देते हुए दुनिया की अर्थव्यवस्था की बेहतरी में अग्रणी की भूमिका के तौर पर दोनों देशों का साझा हित है।

दावोस में विश्व आर्थिक मंच से बोलते हुए मोदी ने मंगलवार को संरक्षणवाद की तुलना आतंकवाद से करते हुए परोक्ष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी’ पर निशाना साधा।

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मोदी ने कहा कि बहुत सारे देश आत्मकेंद्रित बन रहे हैं और इससे वैश्वीकरण का दायरा सिकुड़ता जा रहा है। लिहाजा, इन प्रवृत्तियों से होने वाले खतरों को आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन से कम नहीं माना जा सकता है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, “हमने संरक्षणवाद के विरूद्ध प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पर गौर किया है। उनकी टिप्पणी से जाहिर है कि वैश्वीकरण युग की मांग है। इससे विकास देशों समेत सबके हितों की पूर्ति होती है।”

उन्होंने कहा, “संरक्षवाद के खिलाफ संघर्ष करने और वैश्वीकरण को बढ़ाना देने में चीन और भारत का साझा हित है।”

हुआ ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पिछले साल दावोस में दिए भाषण की याद दिलाई जिसमें उन्होंने संरक्षणवाद का विरोध किया था।

उन्होंने कहा कि चीन भारत समेत सभी देशों के साथ समन्वय बढ़ाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था के फायदे व सभी देशों के हितों को लेकर आर्थिक वैश्विकीरण का संचालन करना चाहता है।

हुआ ने कहा, “हम भारत के साथ काम करके बातचीत को आगे बढ़ाना चाहते हैं और आपसी विश्वास बहाल करना चाहते हैं, जिससे हमारे मतभेदों को सही तरीके से दूर किया जाए और हमारे रिश्तों में सुधार आए। मेरा मानना है कि यही हमारे दोनों देशों के दो लोगों (प्रमुख नेता) की आकांक्षा भी है।”

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