शोध : हर किसी के दिल का दर्द दूर करे स्टेंट, जरूरी नहीं

दिलनई दिल्ली। दुनिया में लाखों दिल के मरीजों के द्वारा दर्द से निजात पाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली प्रक्रिया उनमें से कई रोगियों का दर्द दूर कर पाने में सक्षम नहीं है। यह चौंकाने वाली जानकारी एक शोध में मिली।

बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन के प्रोफेसर व कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. विलियम बोडेन इस निष्कर्ष को आश्चर्यजनक करार दिया, लेकिन खारिज नहीं किया। शोध में धमनियों का ब्लॉकेज खोलने वाले स्टेंट पर फोकस किया गया। ये छोटे वायर केज होते हैं।

अमेरिका में दिल की बीमारी सबसे ज्यादा लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है और हर अस्पताल में स्टेंटिंग ही आधारभूत इलाज है। शोध की मानें तो पूरे विश्व में हर साल 500,000 से ज्यादा दिल के मरीजों को स्टेंट लगाया जाता है। यूएस की कई बड़ी कंपनियां महंगे स्टेंट बनाकर बेच रही हैं।

जब हार्ट अटैक से मरते हुए मरीज की धमनियों को खोलने के लिए इस यंत्र का उपयोग करते हैं तो ये वरदान साबित होती है। लेकिन इनका कई बार उन मरीजों में भी इस्तेमाल होता है जिनकी धमनियां ब्लॉक हैं और पहाड़ियों और सीढ़ियों पर चढ़ने में सीने में दर्द होता है। कभी-कभी ऐसे मरीजों को स्टेंट लगाया जाता है जिनको सिर्फ ब्लॉकेज होता है दर्द नहीं। हर साल 790,000 लोगों को हार्ट अटैक हो जाता है

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लेसेंट में छपे इस नए शोध ने हृदय रोग विशेषज्ञों को चौंका दिया । परिणाम ने सवाल खड़े कर दिए कि क्या दर्द से राहत दिलाने में स्टेंट लगाने भी चाहिए। कुछ वैज्ञानिकों ने इसे अविश्वसनीय तो कुछ ने ठीक बताया।

स्टैंडफोर्ड यूनविर्सिटी के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ डेविड ने इस नए शोध की तारीफ की लेकिन ये भी कहा कि कुछ सवाल अनसुलझे रह गए हैं। शोध में हिस्सा लेने वाले लोगों में गहन ब्लॉकेज था लेकिन सिर्फ एक धमनी में और स्टेंट लगाए हुए सिर्फ छह हफ्ते बीते थे। डॉ डेविड का कहना है, ‘हमें नहीं पता कि इसका परिणाम ज्यादा गंभीर स्थिति वाले लोगों पर लागू होगा या नही।’

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लंदन के इम्पीरियल कॉलेज के सर्जन डॉ जस्टिन ने 200 मरीजों का अध्ययन किया। इन मरीजों की कोरोनरी धमनी में जबरदस्त ब्लॉकेज था साथ ही सीने में भी दर्द था।

सभी का छह हफ्तों तक इलाज किया गया ताकि हार्ट अटैक का खतरा कम किया जा सके। इसके बाद उन लोगों को असली या फेक स्टेंट लगाया गया। इसके बाद मरीजों और शोधकर्ताओं को ये नहीं बताया गया कि किसको स्टेंट लगाया है, किसको नहीं। प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों ग्रुप्स को ब्लड क्लॉट रोकने के लिए पावरफुल दवा दी गई।

स्टेंट वाले मरीजों में ब्लड फ्लो में काफी सुधार देखा गया। जब शोधकर्ताओं ने मरीजों को छह हफ्ते बाद चेक किया तो दोनों ही समूहों ने बताया कि उनका सीने में दर्द कम हुआ है। इसके बाद उनका ट्रेडमिल टेस्ट भी बेहतर पाया गया। लेकिन दोनों समूहों के मरीजों में कोई खास अंतर नहीं था। स्टेंट वाले और बिना स्टेंट वाले मरीजों के परिणाम करीब समान ही थे।

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