भूलकर भी वेस्ट न होने दे आपके आंसू, एक कतरे से रौशन होगी दुनिया

आंसू से बनेगी बिजलीनई दिल्ली। तेजी से भागती हुई आज की इस दुनिया में सबसे बड़ा योगदान बिजली कर रही है। सोचिए अगर बिजली की खोज न हुई होती तो क्या होता? न आप टीवी देख पाते और न ही स्मार्टफोन चला पाते। ये सब तो बड़े ही छोटे उदहारण हैं, जिनके बिना आज के समय में इंसान एक पल भी नहीं रह सकता है। बिजली बड़े-बड़े कामों को आसान बना देती है। या यूं कहें कि बिजली के बिना सब कुछ ठप पड़ जाएगा।

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इस बात की कल्पना करने भर से ही आपको अंदाजा लग जाएगा कि बिना बिजली हम इंसानों का जीवन एक बार फिर वैसे ही हो जाएगा जैसा आदिमानवों का हुआ करता था।

जिस भी इंसान ने इस मुद्दे को गंभीरता से समझा है, वो कभी भी टीवी की पॉवर से लेकर जीरो वाट के बल्ब के स्विच को खुला नहीं छोड़ता।

किसी भी देश की सरकार हो वो भी लोगों को हमेशा यही समझाने का प्रयत्न करती रहती है कि अगर आज बिजली नहीं बचाएंगे, तो कल हमारी आने वाली पुश्तें कही इस सुख से वंचित न रह जाए।

मौजादा समय में लोगों की कल्पना हाईटेक भविष्य की है, लेकिन स्थिती और बदलाव के इस माहौल में असमंजस की स्थिती पनपती है कि कहीं यह सब महज म्यूजियम में ही देखने मात्र के लिए न रह जाए।

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इस कारण दुनिया के अनेक वैज्ञानिक ऊर्जा के ऐसे स्रोतों का पता लगाने में जुटे हैं जो बाकी पदार्थों की तरह सीमित न हों।

बता दें यूनिवर्सिटी ऑफ लीमेरिक के शोधकर्ताओं की एक रिसर्च में दावा किया कि जैसे डैम, पवन चक्की या सौर उर्जा इत्यादि से बिजली बनाई जाती है, ठीक वैसे ही आंखो से निकलने वाले आंसू और मुंह के सलाइवा से भी बनाई जा सकती है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि आंसुओ और सलाइवा में मौजूद एक स्पेशल प्रोटीन lysozyme का इस्तेमाल बिजली के निर्माण के लिए किया जा सकता है।

उन्होंने कहा इस प्रोटीन को अधिक दबाव में रखने पर इससे ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा।

शोधकर्ताओं ने बताया कि जब शोध के दौरान उन्होंने प्रोटीन की पतली सी परत पर दो तरफ ग्लास की प्लेट के जरिए दबाव बनाना शुरू किया तो  प्लेट के बीच एक तरह की ऊर्जा उत्पन्न हुई।

शोधकर्ताओं ने दावा किया कि यह वैसे ही उर्जा थी जैसे पीज़ोइलेक्ट्रिसिटी होती है।

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वहीं lysozyme नाम का प्रोटीन आसूं, सलाइवा, दूध, अण्डों में पाया जाता है, जो शरीर में मौजूद एनजाइम को तोड़ता है। लेकिन शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में साफ़ किया है कि इस प्रोटीन की मदद से बिजली भी बनाई जा सकती है।

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