इतिहास में पहली बार देश के चार महानगर में बैठीं न्याय की देवी

 न्यायाधीश की कुर्सी पर नई दिल्ली : देश के इतिहास में पहली बार यह बदलाव हुआ है. आज भी न्यायपालिका में पुरुष जजों की संख्या अधिक है और महिला जजों की भारी कमी है. पहली बार चार बड़े और सबसे पुराने हाई कोर्ट की जिम्मेदारी अब महिला जजों के कंधों पर है. अब बॉम्बे, मद्रास, कलकत्ता और दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायाधीश की कुर्सी पर महिलाएं आसीन होंगी.

31 मार्च को इंदिरा बनर्जी को मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया. इन चारों हाई कोर्ट की स्थापना औपनिवेशिक काल के दौरान हुई थी. मुख्य न्यायाधीश सहित मद्रास हाई कोर्ट में कुल 6 महिला न्यायाधीश (जज) हैं, जबकि पुरुष जजों की संख्या 53 हैं.

निषिता निर्मल माहत्रे 1 दिसंबर, 2016 से कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद की जिम्मेदारी निभा रहीं हैं. लेकिन यहां पुरूष जजों की तुलना में (35) महिला जजों की संख्या (4) बेहद कम है.

दिल्ली हाइकोर्ट में भी मुख्य न्यायाधीश के पद पर जस्टिस जी रोहिणी हैं, जिन्होंने 13 अप्रैल 2014 को कार्यभार संभाला था. दिल्ली हाई कोर्ट में पुरुष जजों की संख्या 35 है, जबकि महिला जजों की संख्या 9 है. यहां भी नंबर दो की पोजिशन पर महिला जज जस्टिस गीता मित्तल हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश जस्टिस मंजूला चेल्लूर है. जस्टिस मंजूला ने पिछले साल 22 अगस्त को बॉम्बे हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला. जस्टिस मंजुला चेल्लूर के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में नंबर दो की पोजिशन पर भी एक महिला जस्टिस वी एम ताहिलरामनी हैं. यहां 11 महिलाएं जज हैं जबकि पुरूष जजों की संख्या 61 हैं.

देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुकाबले सबसे ज्यादा महिला जजों की संख्या भी बॉम्बे हाइकोर्ट में है. देश के 24 उच्च न्यायालयों में 632 जज हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या केवल 68 (10.7 फीसद) है. 28 जजों वाले सुप्रीम कोर्ट में भी एकमात्र महिला जज के रूप में जस्टिस आर भानुमति हैं.

 

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